लखनऊ: गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुए कथित घोटाले में उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की अनुशंसा केंद्र सरकार के पास भेज दी है। करोड़ों रुपये के इस घोटाले में कई बड़े अधिकारियों व नेताओं के शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। गृह सचिव भगवान स्वरूप ने बताया कि रिवर फ्रंट परियोजना की जांच सीबीआई को सौंपने की केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को अनुशंसा भेज दी गई है। जांच के लिए सरकार के लिए सीबीआई को सभी आवश्यक संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद गोमती रिवर फ्रंट परियोजना का मौका मुआयना किया था। मौके पर ही परियोजना में धन का दुरुपयोग होने का उल्लेख करते हुए जांच कराने की घोषणा की थी। इसके बाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक जांच समिति बनी। इसने अपनी रिपोर्ट में परियोजना में वित्तीय अनियमितता का उल्लेख किया और सिंचाई, जल निगम के कई इंजीनियरों और दो आइएएस अधिकारियों को दोषी ठहराया था।
समिति की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त अनूप चंद्र पांडेय और तत्कालीन प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय (अब हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति) को शामिल करते हुए कार्रवाई निर्धारण समिति गठित की, जिसने आरोपी अधिकारियों, इंजीनियरों को पक्ष रखने का अवसर दिया।
खन्ना समिति ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में तकनीकी जांच की विशेषज्ञता न होने का उल्लेख करते हुए भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच की संस्तुति की थी। समिति की संस्तुतियों के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने परियोजना की सीबीआई जांच कराने का निर्णय लिया है।
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