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कैसा होता है रैन बसेरे में रात गुजारना? गाजियाबाद कलेक्टर ने खुद लिया जायजा

हाड़ कंपा देने वाली ठंड में गाजियाबाद के जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय ने व्यवस्थाओं को देखने के लिए मंगलवार को न केवल रैन बसेरे में रात बिताई बल्कि वहां के बिस्तरों को अपने बिस्तर की तरह इस्तेमाल किया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 31, 2020 8:34 IST
देर रात रैन बसेरे में...- India TV Hindi
Image Source : TWITTER देर रात रैन बसेरे में ही कलेक्टर ने बनाया 'दफ्तर', लिया सुविधाओं का जायजा

गाजियाबाद: हाड़ कंपा देने वाली ठंड में गाजियाबाद के जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय ने व्यवस्थाओं को देखने के लिए मंगलवार को न केवल रैन बसेरे में रात बिताई बल्कि वहां के बिस्तरों को अपने बिस्तर की तरह इस्तेमाल किया। उन्होंने कार्यालय का काम रैन बसेरे में बैठकर ही किया और सरकारी फाइलें भी निपटाई। बता दें कि एक समाजसेवी ने जिलों में रैन बसेरों की स्थिति पर शिकायत की थी। इसी के बाद वे खुद ही इसकी पड़ताल करने पहुंच गए।

खुद को समाजसेवी कहने वाले एक व्यक्ति ने मंगलवार की सुबह 11 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिला अधिकारी से मुलाकात की और उनसे शहर में बने रैन बसेरों में खराब इंतजाम की शिकायत की। उन्होंने बताया कि रैन बसेरों में 10 मिनट भी रुका नहीं जा सकता है और चाहे तो खुद जिला अधिकारी खुद ही जाकर मौके पर स्थिति देख लें। समाजसेवी की बात सुनकर जिला अधिकारी ने आश्वासन दिया कि वह खुद जाकर रैन बसेरों का हाल देखेंगे। जिलाधिकारी ने समाजसेवी संतुष्ट करने का प्रयास किया लेकिन वह अपनी शिकायत पर अड़े रहे। इसके बाद जिलाधिकारी ने उन समाजसेवी का मोबाइल नंबर लिया और कहा कि जिन रैन बसेरों का नाम लिया जा रहा है वहां की हकीकत देखने वे स्वयं जाएंगे। जिलाधिकारी की बात को हल्के में लेते हुए समाजसेवी यह तंज करके निकल गए कि “मैं उस दिन का इंतजार करूंगा।”

बस फिर क्या था... रात 11 बजे के करीब जिलाधिकारी अचानक अपने स्टाफ के साथ रैन बसेरों का आकस्मिक निरीक्षण करने के लिए निकल पड़े। सबसे पहले दलबल के साथ वह अर्थला रैन बसेरे में पहुंचे। उन्होंने यहां मौजूद लोगों से बातचीत की। कंबल और बि‍स्तरों की दशा देखी। कोई ज्यादा गड़बड़ी न मिलने पर अजय शंकर पांडेय अपने स्टाफ के साथ रात करीब 12:30 बजे राजनगर स्थित डूडा के रैन बसेरे में पहुंचे। रैन बसेरे में कुछ लोग सो रहे थे और कुछ लोग आपस में बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान जिलाधिकारी के ओएसडी ने सुबह कार्यालय कक्ष में आए समाजसेवी का मोबाइल फोन मिलाया। ओएसडी ने समाजसेवी को बताया कि जिलाधिकारी आपके पड़ोस के रैन बसेरे में आए हैं। ओएसडी ने समाजसेवी से कहा कि जिलाधि‍कारी ने आपसे जो वादा किया है उसका आप भी साक्षी बनें। तब समाजसेवी ने 15 मिनट में आने की बात कहते हुए फोन काट दिया और इसके बाद उनका फोन बंद हो गया।

जिलाधिकारी रैन बसेरे के एक खाली बिस्तर पर बैठ गए और यहां मौजूद लोगों से उनकी परेशानी पूछी। रैन बसेरे में की गई व्यवस्था के बारे में जानकारी की। इस दौरान जिलाधिकारी दो घंटे तक रैन बसेरे में ही रहे। उन्होंने अपने ओएसडी को निर्देश दिया कि वह अपने साथ लाई सरकारी पत्रावलियों और डाक का निस्तारण यहीं करा लें। कुछ ही समय में रैन बसेरे के भीतर ही एक-एक करके फाइलों का निस्तारण होने लगा। जिलाधि‍कारी ने वहीं से रैनबसेरों के प्रभारी अधि‍कारी को फोन पर व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का आदेश भी दिया। जिलाधि‍कारी ने रैनबसेरे में मौजूद लोगों को अपने व्यक्त‍िगत संसाधन से जैकेट भी बांटे और करीब ढाई घंटा रैन बसेरे में गुजारने के बाद जिलाधिकारी अपने घर की ओर रवाना हुए।

जिलाधिकारी के इस कदम से रैन बसेरे में रहने वाले लोग खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी इस तरह औचक निरीक्षण करते रहे तो रैन बसेरों की देखरेख करने वाले अधिकारियों में डर होगा। अब प्रतिदिन जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने किसी एक रैन बसेरे में रात गुजारना शुरू कर दिया है और वे वहां लोगों की समस्याएं सुनते हैं। इसके साथ ही दिन भर की पत्रावलियों का भी निस्तारण करते हैं।

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