गैंगरेप केस में कई दिनों तक पुलिस से लुकाछिपी खेलने के बाद आख़िरकार पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को यूपी पुलिस ने धर ही लिया। उनके अलावा पुलिस ने इस केस के बाक़ी सभी सात आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस तरह से सिर्फ़ 10 साल में फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले गायत्री प्रजापति की कहानी का अंत हुआ।
रंक से बने राजा
प्रजापति 2002 में बीपीएल (below poverty line) कार्ड धारक हुआ करते थे यानि ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले। दिलचस्प बात ये है कि 15 साल के बाद उन पर 942 करोड़ से अधिक की संपति कमाने अर्जित करने का आरोप है। साल 2012 में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 1.83 करोड़ रुपये बताई थी। साल 2009-10 में उनकी सालाना आय 3.71 लाख रुपये थी लेकिन वही गायत्री प्रसाद प्रजापति अब बीएमडब्लू जैसी लग्जरी कार में चलते हैं। गायत्री प्रजापति के परिजनों और उनके करीबियों के स्वामित्व में 13 कंपनियों का भी आरोप हैं जिनमें उनके दोनों बेटे, भाई और भतीजे को डायरेक्टर बताया गया है।
गायत्री प्रजापति ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दायर अपने हलफनामे में कुल 10 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की थी। इसमें उनके पास 1 करोड़ 17 लाख 55 हजार रुपये और पत्नी के नाम 1 करोड़ 68 लाख 21 हजार रुपये की चल संपत्ति है। इसके अलावा गायत्री के पास 5 करोड़ 71 लाख 13 हजार रुपये और उनकी पत्नी 72 लाख 91 हजार 191 रुपये की अचल संपत्ति है। गायत्री के पास 100 ग्राम और पत्नी के पास 320 ग्राम सोना है। इसके साथ ही एक पिस्टल, रायफल और बंदूक के साथ उन्होंने गाड़ी में एक जीप दिखायी थी।
विधायक बनने के बाद लगाई लंबी छलांग
फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय से कला में स्नातक गायत्री प्रसाद प्रजापति पहली बार 2012 में विधायक बने और फिर सिलसिला शुरु हुआ रंक से राजा बनने का। प्रजापति मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन शाही अंदाज़ में मनाकर सपा में अलग नज़र आने लगे। धीरे-धीरे वह सपा परिवार के करीबी बन गए।
फरवरी 2013 में प्रजापति सिंचाई राज्य मंत्री बनाए गए और इसके बाद खनन मंत्री पद का स्वतन्त्र प्रभार मिल गाया। जनवरी 2014 में उनका प्रोमोशन हुआ और वह इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिए गए।
खनन मंत्रालय से खनके लगे पैसे
प्रजापति पर आरोप है कि बतौर खनन मंत्री उन्होंने अकूत संपत्ति जमा की। इस तरह की ख़बरों के बीच हाई कोर्ट ने खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए जो ज़ाहिर है यूपी सरकार और गायत्री दोनों के लिए झटका था। 12 सितंबर, 2016 को सीएम अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया। इसे बाद हुए सियासी ड्रामे के बाद अखिलेश सरकार ने उनको फिर से मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया और इस बार उन्हें परिवहन मंत्रालय की कमान दी गई।
साल 2014-2015 के बीच गायत्री प्रजापति और उनके परिवार के नाम पर कई कंपनियां रजिस्टर हुईं। गायत्री प्रजापति के सगे-संबंधियों के नाम से दर्ज एक दर्जन से अधिक कंपनियों का ब्यौरा दिया गया है। इनके दफ्तर बेशक एक कमरे में हो, लेकिन सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये में है। इनमें से अधिकतर कंपनियों के डायरेक्टर गायत्री के बेटे अनिल और अनुराग हैं। उनके खनन मंत्री रहने के दौरान बनाई गई इन कंपनियों के द्वारा ही करोड़ों रुपयों का लेनदेन किया गया था. कई कंपनियों में तो उनके रिश्तेदार, ड्राईवर और नौकर तक डायरेक्टर हैं।