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1951 में हुआ था उत्तर प्रदेश का पहला विधानसभा चुनाव, कांग्रेस ने जीती थीं 388 सीटें

आज सूबे की सियासत में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस ने उन चुनावों में 388 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया था।

Written by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated : September 16, 2021 19:39 IST
Uttar Pradesh Assembly Elections, Congress 388 seats, First UP Assembly Elections
Image Source : PTI FILE उत्तर प्रदेश में 1951 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे जिनमें कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की थी।

लखनऊ: सियासी गलियारों में एक बात अक्सर कही जाती है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। अगले कुछ महीनों में यहां विधानसभा चुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि इसके नतीजे 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी असर डालेंगे। यही वजह है कि इन यूपी के विधानसभा चुनावों पर पूरे देश की नजर है। 2022 के विधानसभा चुनावों में क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में है, फिलहाल हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि सूबे के पहले विधानसभा चुनावों में क्या-क्या हुआ था। हम बताएंगे कि आज सूबे की सियासत में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस ने कैसे उन चुनावों में 388 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया था।

1951 के चुनावों में इन पार्टियों ने लिया था हिस्सा

1951 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुल 14 पार्टियों ने शिरकत की थी। इनमें ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ, बोलशेविक पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक (रुईकर ग्रुप), अखिल भारतीय हिंदू महासभा, कांग्रेस, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, रिवॉल्यूशनरी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय राम राज्य परिषद, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया शिड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन और सोशलिस्ट पार्टी राष्ट्रीय दलों के रूप में चुनाव लड़ रहे थे।

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वहीं, उत्तर प्रदेश प्रजा पार्टी और उत्तर प्रदेश रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी नाम के प्रादेशिक दलों ने भी चुनाव लड़ा था, और निर्दलीय तो थे ही। 1951 के चुनावों में भाग लेने वाली अधिकांश पार्टियों का या तो अस्तित्व ही मिट गया, या उनके नाम एवं रूप बदल गए।

1951 के चुनावों में 2604 उम्मीदवार ठोक रहे थे ताल
1951 के विधानसभा चुनावों में कुल 430 सीटों के लिए विधायक चुने गए थे। इन चुनावों में कुल मिलाकर 2604 उम्मीदवार मैदान में थे। सबसे ज्यादा 18 उम्मीदवार फिरोजाबाद सह फतेहाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे थे तो कई सीटें ऐसी थीं जहां सिर्फ 2 उम्मीदवार मैदान में थे। इन चुनावों में कुल 4,40,89,646 मतदाताओं में से 1,67,58,619 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

इस तरह देखा जाए तो पहले विधानसभा चुनावों में 38.01 प्रतिशत मतदान हुआ था। पहले विधानसभा चुनावों में पड़े सभी मतों को वैध मत माना गया था। पहले विधानसभा चुनावों में एक खास बात यह भी थी कि 249 सीटों से एक विधायक, जबकि 83 सीटों से 2 विधायक चुने गए थे। इन विधानसभा क्षेत्रों को डबल मेंबर कॉन्स्टिचुएंसी कहा जाता था।

कांग्रेस ने 388 सीटें जीतकर रचा इतिहास
1951 में हुए उत्तर प्रदेश के पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कुल 429 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 388 सीटें जीतकर उसने इतिहास रच दिया था। पार्टी सिर्फ एक सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाई। वहीं, दूसरे नंबर पर रही सोशलिस्ट पार्टी (SP) को सिर्फ 20 सीटों से संतोष करना पड़ा था, और 233 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाए थे।

भारतीय जनसंघ को इन चुनावों में सिर्फ 2 सीटें मिली थीं और 153 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। सबसे ज्यादा बुरा हाल किसान मजदूर प्रजा पार्टी का था जिसके 234 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी, और सिर्फ एक प्रत्याशी को जीत मिली थी। इनके अलावा अखिल भारतीय हिंदू महासभा को एक, अखिल भारतीय रामराज्य परिषद को एक, यूपी प्रजा पार्टी को 1 और यूपी रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी। वहीं, निर्दलियों ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

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Image Source : GOI
पंडित गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे जबकि लोकबंधु राजनारायण विपक्ष के पहले नेता चुने गए थे।

कांग्रेस ने बनाई यूपी की पहली सरकार
चुनावों में 388 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप करने वाली कांग्रेस ने यूपी की पहली सरकार बनाई। पंडित गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस के आत्माराम गोविंद खेर को यूपी का पहला विधानसभा अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त हुआ। कांग्रेस के ही हरगोविंद पंत को डिप्टी स्पीकर चुना गया, मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत तो सदन के नेता बने ही। इन चुनावों में मात्र 20 सीटें पाने वाली सोशलिस्ट पार्टी के नेता लोकबंधु राजनारायण को विपक्ष का नेता चुना गया। उन्होंने 1955 तक यह जिम्मेदारी निभाई। 1955 से 1957 तक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के गेंदा सिंह ने विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी निभाई थी।

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