कानपुर: रक्तदान महादान, अंगदान महादान ये नारे तो आपने सुने होंगे लेकिन कानपुर के अर्शद के लिए अंगदान करना फतवे का कारण बन गया। उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले अर्शद मंसूरी ने समाज की भलाई के विचार से अपने अंग दान करने का फैसला लिया साथ ही उन्होंने मुस्लिम समुदाय के दूसरे लोगों से भी ऐसा करने की अपील की। लेकिन अर्शद मंसूरी की भलमनसाई अब उनके लिए ही मुसीबत का सबब बन गई है। अंगदान के इस्लाम में हराम मानते हुए अर्शद के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है।
फतवे को ना सिर्फ अर्शद ने समुदाय से बाहर निकालने की कोशिश बताया बल्कि अनजान नंबर से धमकी भरे फोन आने की भी बात कही है। अर्शद इन फोन कॉल्स की शिकायत पुलिस में भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। अर्शन इस सारी घटना पर कहा है कि मैंने अपने अंग समाज के भले के लिए दान करने का फैसला किया है। मैं चाहता हूं कि दूसरे मुसलमान साथी भी ऐसा करें। मुझे पता है कि एक फतवा मेरे खिलाफ जारी किया गया है जिसमें अंगदान करना इस्लाम में हराम बताया गया है। फतवे में लोगों से मुझे बायकॉट करने के लिए कहा गया है। मेरे विचार से ऐसे मौलाना फर्जी हैं। मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
मुझे अनजान नंबरों से धमकी भरे फोन आ रहे हैं और जब मैंने इसकी शिकायत कानपुर पुलिस में की तो उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं इस पूरे मसले पर मौलाना हनिफ बरकती ने कहा है कि उन्होंने मुझ से पूछा कि अंग दान करने के इस्लाम में कैसे देखा जाता है मैंने जवाब दिया कि ऐसा करना प्रतिबंधित है। अगर कोई अल्लाह के बताए रास्ते पर नहीं है तो उस पर मुसलमान होने का संदेह है। वो एक ऐसा आदमी हो सकता है जो मुसलमान नाम रखकर मुसलमानों को बदनाम करना चाहता हो।