Thursday, November 14, 2024
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Exclusive: यूपी में 4 हजार से ज्यादा फर्जी शिक्षकों का चला पता, दूसरों के डॉक्यूमेंट्स के आधार पर कर रहे नौकरी

यूपी के प्राइमरी स्कूलों में करीब चार हज़ार से ज्यादा ऐसे टीचर्स पकड़े गए हैं जो दूसरों के डॉक्यूमेंट्स के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे थे। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 02, 2019 0:01 IST
More than 4,000 fake teachers detected in Uttar Pradesh - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV More than 4,000 fake teachers detected in Uttar Pradesh 

नई दिल्ली: यूपी से एक हैरान करने वाली खबर आई है जहां एक ही टीचर एक ही वक्त पर तीन अलग-अलग जिले के स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। जी हां आप कहेंगे ये मुमकिन नहीं है लेकिन यूपी में ऐसा ही हो रहा है। यूपी के प्राइमरी स्कूलों में करीब चार हज़ार से ज्यादा ऐसे टीचर्स पकड़े गए हैं जो दूसरों के डॉक्यूमेंट्स के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे थे। मथुरा, गोरखपुर और सिदार्थनगर जिलों में तो सौ से ज्यादा फर्जी टीचर होने की बात सामने आई है। यूपी सरकार अब पूरे प्रदेश में प्राइमरी टीचर्स के दस्तावेजों की जांच कर रही है। अब तक तेरह सौ टीचर बर्खास्त किए जा चुके हैं और इनके खिलाफ FIR भी की गई है। आम तौर पर जब भी किसी की सरकारी नौकरी मिलती है तो कड़ी जांच के बाद ही नियुक्ति पत्र मिलता है। local intelligence unit से जांच की जाती है। इसलिए सरकार का मानना है कि इस गड़बड़ी में दूसरे विभागों के सरकारी अफसरों की मिलीभगत भी हो सकती है इसलिए सबकी जांच कराई जा रही है। 

विभागीय मंत्री का कहना है कि इस रैकेट में दूसरे विभागों के लोग भी शामिल हो सकते हैं। हम आपको गोरखपुर के एक प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल अभय लाल यादव की बात बताते हैं। अभय यादव के नाम के ही दो और टीचर्स भी सरकारी स्कूल में नौकरी कर रहे थे। खास बात ये है कि उन दोनों के नाम..पिता के नाम और डेट ऑफ बर्थ भी वही थी..जो अभय यादव की है। जब अभय य़ादव को इस बात की जानकारी मिली तो खुद उन स्कूलों में पहुंचे जहां उनके नाम पर दूसरे टीचर्स नौकरी कर रहे थे। चौंकाने वाली बात ये है कि अभय के स्कूल में आने की जानकारी उन टीचर्स को पहले से मिल गई और वो अभय के पहुंचने से पहले ही स्कूल से निकल गए। 

अभय यादव जैसी ही कहानी गोरखपुर के एक और प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल अनिल यादव की है। 2006 से वो नौकरी कर रहे हैं। कुछ साल पहले जब उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया तो पता लगा कि उनके नाम और उनकी डीटेल से पैन कार्ड बना है....सैलरी ली जा रही है और टैक्स जमा किया जा रहा है। सीतापुर का कोई शत्रुघ्न नाम का शख्स उनके नाम पर नौकरी कर रहा था। अनिल ने इसकी शिकायत अफसरों से की लेकिन उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने सरकारी बेवसाइट्स पर इसकी लिखित शिकायत की तब जांच शुरू हुई औरक पूरा मामला खुल गया। अनिल का कहना है कि वो कभी सीतापुर गए ही नहीं...फिर उनके डॉक्यूमेंट्स के आदार किसी दूसरे शख्स को सीतापुर में नौकरी कैसे मिल गई...ये हैरान करने वाली बात है। 

यूपी मे कुल करीब सवा चार लाख प्राइमरी टीचर्स हैं। अफसरों को शक है कि उनसे से करीब अस्सी हजार टीचर्स फर्जी है जोदूसरों के दस्तावेज पर नौकरी कर रहे हैं। सरकारी विभागों में इस तरह का गोलमाल डिजिटल इंडिया के कारण पकड़े जा रहे हैं....कुछ दिन पहले खबर आई थी कि दिल्ली नगर निगम में करीब हजारों ऐसे कर्मचारियों के नाम पर सैलरी जा रही थी जो कभी MCD में काम ही नहीं करते थे....जैसे ही बायोमैट्रिक अटेंडेंश सिस्टम लागू हुआ तो हकीकत सामने आ गई...इसी तरह अब यूपी में भी सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले प्राइमरी टीचर्स की डॉक्यूमेंट्स का डिजीटाइटेशन हो रहा है और अगर अलग अलग टीचर्स के दस्तावेज एक दूसरे की कॉपी होते हैं तो तुरंत पकड़ में आ जाते हैं। 

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