नई दिल्ली: CBI ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में अवैध खनन मामले का ब्योरा देते हुए दावा किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 खनन पट्टों को मंजूरी दी थी। एजेंसी ने कहा कि यादव के पास खनन विभाग भी कुछ समय के लिए था, बाद में गायत्री प्रजापति खनन मंत्री बने। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री ने 14 खनन पट्टों को मंजूरी दी थी जिसमें 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी। CBI ने दावा किया कि ऐसा ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए किया गया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दावा किया कि 2012 की ई-टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी हासिल करने के बाद 17 फरवरी को हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला ने खनन पट्टे दिए थे। इस नीति को 29 जनवरी 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंजूरी दी थी। CBI ने समाजवादी पार्टी प्रमुख यादव की भूमिका का ब्योरा तब दिया जब उन्होंने और अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर राजनीतिक फायदे के लिए जांच एजेंसी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
यादव ने रविवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि बीजेपी विपक्षी दलों के नेताओं को धमकाने के लिए औजार के रूप में CBI का इस्तेमाल कर रही है। यादव ने कहा था, ‘अब हमें CBI को बताना पड़ेगा कि गठबंधन में हमने कितनी सीटें वितरित की हैं। मुझे खुशी है कि कम से कम भाजपा ने अपना रंग दिखा दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने हमें CBI से मिलने का मौका दिया था और इस बार यह भाजपा है जिसने हमें यह अवसर दिया है।’
आपको बता दें कि CBI ने IAS अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी के विधान पार्षद रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (BSP के टिकट पर 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ने और हारने वाले) समेत 11 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में शनिवार को 14 स्थानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी हमीरपुर जिले में 2012-16 के दौरान खनिजों के अवैध खनन की जांच के सिलसिले में की गई थी। प्राथमिकी के अनुसार यादव 2012 से 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास ही था, जिसकी वजह से उनकी भूमिका जांच के दायरे में आई है।
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