नई दिल्ली: डीआरडीओ की तरफ से डेवलप की गई कोरोना की दवा को इस वायरस के संक्रमण से मुक्ति दिलाने में बड़ा गेम चेंजर माना जा रहा है। 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोजे (2-DG) नाम की यह दवा जल्द ही मार्केट में उपलब्ध हो जाएगी। इस दवा की खोज के पीछे जिस वैज्ञानिक का नाम आ रहा है वो हैं उत्तर प्रदेश बलिया के रहनेवाले अनिल कुमार मिश्रा। अनिल ने 1984 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी से एमएससी (रसायन विज्ञान) में किया। 1988 में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने मोल्कयूलर बायोलॉजी और ऑर्गेनिग सिंथेसिस पर आधारित रिसर्च किया। पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च के बाद, उन्होंने फ्रांस, कैलिफोर्निया (यूएसए) और मैक्स प्लैंक, जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में काम किया है। वे वर्ष 1997 में डीआरडीओ में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए।
2-डीजी डी-ग्लूकोज की नकल है जिसे सी2 पर एच-परमाणु द्वारा -ओएच समूह को प्रतिस्थापित करके तैयार किया गया है। इसलिए 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज नाम का अर्थ है दूसरे कार्बन से ऑक्सीजन को हटाना। डी-ग्लूकोज की नकल होने के कारण यह पीड़ित शख्स के उन कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश कर जाता है जहां कोरोना वायरस पहले से मौजूद रहता है। ग्लूकोज दो तीन कार्बन यौगिकों में टूट जाता है, उनमें से एक पाइरूवेट आयन (CH3COCOO-) है जो एनर्जी रिलीज करता है। यह एक मेटाबॉलिक प्रक्रिया है जिसे ग्लाइकोलाइसिस कहा जाता है। यह वह ऊर्जा है जिससे प्राणी जीवित रहते हैं। इसी ऊर्जा से कोरोना वायरस भी जीवित रहता है। डी-ग्लूकोज के विपरीत, 2-डीजी ग्लाइकोलाइसिस के लिए अनुपयुक्त है। कोई एनर्जी डेवलप नहीं होती है। जीवन का निर्वाह करना कठिन हो जाता है और ऐसे में कोरोना वायरस एनर्जी के अभाव में एक सप्ताह के भीतर मर जाता है। यह दवा मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को भी कम करती है। यह दवा भी इसी तंत्र से ट्यूमर-रोधी/कैंसर रोधी है।
कोरोना के इलाज के लिए DRDO द्वारा विकसित 2DG दवा के पीछे का विज्ञान: DRDO द्वारा 2DG की 10,000 खुराक 17 मई को जारी की गई है! उम्मीद है कि बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन में तेजी आ रही है। जल्द ही हैदराबाद और अन्य केंद्रों पर उत्पादन शुरू होने की संभावना है। इस दवा का सिद्धांत सरल है: धोखेबाज को धोखा देना! आप जानते हैं कि कोई भी वायरस हमारे शरीर के अंदर मानव कोशिकाओं को धोखा देकर अपनी कॉपी बनाता है और उनके प्रोटीन से खुद को मजबूत बना लेता है। यह दवा यहीं पर कोरोना वायरस को मात देती है। दरअसल यह दवा एक छद्म ग्लूकोज है जो वायरस की संख्या को बढ़ने ही नहीं देता और इसे खतम कर देता है। इस तरह से जब एक बार वायरस का तेजी से प्रसार रुक जाता है, तो हमारे अपने एंटी बॉडीज आसानी से इसका मुकाबला कर सकते हैं और घंटों के भीतर काबू पा सकते हैं।