लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 69,000 बेसिक शिक्षकों की भर्ती से जुड़े एक मामले में राज्य सरकार की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। फैसला 10 जून को सुनाया जाएगा। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले की सुनवाई की। 69 हजार शिक्षकों की भर्ती से जुड़े इस मामले में सरकार की ओर से दाखिल विशेष याचिका पर सुनवाई हुई। यह मामला सुनवाई के लिए नौ जून को सूचीबद्घ था, किन्तु सरकार की ओर से मामले को अर्जेट बताते हुए आज ही सुनवाई की मांग की गई।
उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। सरकार ने इस अपील को सुनवाई के लिए मंजूर करने और इस मामले में एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान अभ्यर्थी ऋशभ की ओर से अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने अदालत में अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने अन्य अभ्यर्थियों की ओर से पेश वकीलों को मंगलवार सुबह 10 बजे तक अपना-अपना पक्ष लिखित में देने को कहा है। सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि चयन प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है।
वकील एल.पी. मिश्रा ने कहा, "इस भर्ती में सरकार ने कुछ भी क्रमबद्घ तथा सही तरीके से नहीं किया। लिहाजा सिंगल बेंच ने वह रिलीफ भी दी जो कि मांगी भी नहीं गई थी।" इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार तक लिखित में सबमिशन देने को कहा।गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने प्रदेश में 69000 बेसिक शिक्षकों की भर्ती संबंधी प्रक्रिया पर गत तीन जून को रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति माथुर चयन प्रक्रिया पर रोक यह कहते हुए लगाई थी कि परीक्षा के दौरान पूछे गए कुछ प्रश्न गलत थे, लिहाजा केंद्रीय अनुदान आयोग द्वारा इसकी फिर से पड़ताल किए जाने की जरूरत है। राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ में एक विशेष याचिका दायर की थी।