लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी के मामलों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। पिछले 24 घंटों में प्रदेश में 17,775 नए मामले सामने आए हैं। वहीं कोविड-19 संक्रमित 281 और लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश में कोविड-19 संक्रमित 281 और मरीजों की मौत हो गयी और राज्य में अब तक इस वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 16646 हो गई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि पिछले 12 दिनों के दौरान राज्य में कोविड-19 के उपचाराधीन मामलों की संख्या में एक लाख छह हजार की गिरावट आई है और प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण से उबरने का प्रतिशत अब बढ़कर 86 हो गया है।
उन्होंने बताया कि पिछले 30 अप्रैल को प्रदेश में उपचाराधीन कुल मामलों की संख्या 310000 थी जो इस वक्त घटकर दो लाख चार हजार 658 हो गई है। प्रसाद ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में 17775 नए मरीजों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान 253000 से ज्यादा नमूनों की जांच की गई। राज्य में अब तक चार करोड़ 39 लाख नमूनों की जांच की जा चुकी है।
इस बीच सीमित संसाधनों में काम करने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों पर अभद्रता और शोषण का आरोप लगाते हुये प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ से जुड़े 14 डॉक्टरों ने उन्नाव में सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। यह डॉक्टर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रभारी हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वे जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी से वार्ता होने तक कोरोना संबंधित कार्यो में कोई बाधा नही डालेंगे।
बुधवार शाम प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ (पीएमएस) के सचिव डॉ संजीव के नेतृत्व में 14 सीएचसी और पीएचसी के प्रभारियों ने सीएमओ कार्यालय पहुंचकर अपने प्रभारी पद से मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) की अनुपस्थित में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ तन्मय कक्कड़ को इस्तीफा सौंपकर गंभीर आरोप लगाए थे। इन लोगों ने इस्तीफे की प्रति अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य), महानिदेशक (स्वास्थ्य), अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के साथ ही जिलाधिकारी (डीएम) को भी भेजी है।
सामूहिक इस्तीफा देने वाले चिकित्सकों का आरोप है कि कोरोना वायरस के काल में विपरीत परिस्थितियों में काम करने के बावजूद मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना के साथ अधिकारी बेवजह कार्रवाई कर दबाव बना कर अभद्रता करते हैं। उन्होंने अधिकारियों पर बेवजह दबाव बनाने का आरोप लगाते हुये कहा कि डॉक्टरों का वेतन आदि रोककर आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
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