नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर ने हाहाकार मचाया हुआ है। पूरे देश में कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। यूपी के मुरादाबाद का भी कुछ ऐसा ही हाल है। कोरोना काल की सबसे बुरी बात ये है कि जिस व्यक्ति की मौत होती है, उसके परिजन उसका चेहरा भी नहीं देख पाते। ताजा मामला सामने आया है मुरादाबाद से, जहां मानवीय भूल के कारण एक मुस्लिम व्यक्ति का शव हिंदु परिवार और हिंदु व्यक्ति का शव मुस्लिम परिवार को सौंप दिया गया। जिसके बाद मुस्लिम परिवार ने उन्हें दिए गए शव को दफना दिया और हिंदु परिवार भी लगभग शव का अंतिम संस्कार करने वाला ही था।
लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 अप्रैल को एक 60 साल के हिंदू व्यक्ति को और 40 साल के मुस्लिम व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। दोनों की मौत बीते हुए सोमवार को हुई। जिसके बाद कोविड प्रोटोकॉल के तहत दोनों ही शवों के अंतिम संस्कार के लिए भेज दिए गए। यहां मुस्लिम परिवार ने उन्हें दिए गए शव को दफन करवा दिया जबकि हिंदु परिवार को दिया गया चिता पर रख दिया गया था।
मृतक हिंदु व्यक्ति के साले ने बताया कि हमें पीपीई किट में लपेटकर डेड बॉडी दी गई थी। हमने अस्पताल के अधिकारियों से अनुरोध किया था कि हम शव को देखना चाहते हैं लेकिन उन्होंने मना कर दिया। शमसान में उन्होंने शव को लगभग चिता पर रख ही दिया था कि तभी हमने महसूस किया कि ये बहुत हल्का है। इसी दौरान किसी ने दूर से चेहरे की झलक देखी तो पाया कि शव किसी और व्यक्ति का है। जिसके बाद ये शव मुस्लिम परिवार को सौंप दिया गया, जबकि हिंदु मृतक का शव कब्र में से निकालकर हिंदू परिवार को दिया गया।