लखनऊ: कोविड—19 संक्रमण की आशंका के मद्देनजर जेलों से कैदियों की भीड़ कम करने के सुप्रीम कोर्ट के हाल के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश में 11 हजार कैदियों को अंतरिम जमानत और परोल पर छोड़ने की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के मकसद से कारागारों में भीड़ कम करने के लिये कैदियों को अंतरिम जमानत और परोल पर छोड़ने के सुप्रीम कोर्ट के गत 23 मार्च के आदेश के क्रम में शुक्रवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज जायसवाल की अध्यक्षता में बैठक हुई।
उन्होंने बताया कि बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक प्रदेश की सभी 71 जेलों में बंद ऐसे सभी विचाराधीन कैदियों जिन्हें अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है उन्हें 8 सप्ताह की अंतरिम जमानत पर निजी मुचलके भरवाकर कारागार से छोड़ा जाएगा। इसके अलावा ऐसे सजायाफ्ता कैदी जिन्हें 7 साल या उससे कम की सजा मिली है उन्हें भी 8 हफ्ते के निजी मुचलके पर पैरोल पर छोड़ने की कार्यवाही की जाएगी।
अवस्थी ने बताया कि प्रदेश के कारागारों में इस तरह के विचाराधीन कैदियों की संख्या लगभग 8500 है और पैरोल पर छोड़े जाने वाले सजायाफ्ता बंदियों की संख्या करीब ढाई हजार है। इस तरह प्रदेश की जेलों से लगभग 11000 कैदियों को तत्काल छोड़ने की कार्यवाही शुरू की जा रही है।