कानपुर। गैंगस्टर विकास दुबे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजे जाने से पहले उसका कोविड-19 टेस्ट होगा। इस गैंगस्टर के शव को अभी हेलेट अस्पताल में ही रखा गया है और अभी तक पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा गया है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, पोस्टमार्टम कोरोना रिपोर्ट आने के बाद ही होगा।
अभी तक हालांकि गैंगस्टर के परिवार का कोई भी सदस्य उसकी मौत की खबर सुनने के बाद अस्पताल नहीं पहुंचा है। दुबे की मां सरला दुबे लखनऊ में है, लेकिन उन्होंने मीडिया कर्मियों से मिलने से मना कर दिया है। कृष्णा नगर क्षेत्र में लखनऊ आवास के बाहर कई पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
विकास दुबे का भाई दीप प्रकाश दुबे फरार है। विकास की पत्नी ऋचा दुबे और बेटे को एसटीएफ अपने साथ ले गई थी और दोनों को पुलिस हिरासत में कानपुर पुलिस लाइन में रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका, पहले से ही थी मारे जाने की आशंका
कानपुर के कुख्यात अपराधी और बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। हालांकि याचिका गुरुवार देर रात दायर की गई है, जिसमें विकास दुबे का भी एनकाउंटर किए जाने की आशंका जाहिर की गई थी। एक वकील घनश्याम उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता आज ही सुनवाई की मांग कर सकते हैं। याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से लग रहा है कि विकास दुबे ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में गार्ड को खुद ही अपनी जानकारी दी थी।
इस याचिका में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि विकास दुबे ने मध्य प्रदेश पुलिस को खुद ही गिरफ्तारी दी ताकि मुठभेड़ से बच सके। याचिका में आशंका जताई गई थी कि यूपी पुलिस विकास का एनकाउंटर कर सकती है। याचिका में मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि दुबे का घर, शापिंग मॉल व गाडि़यां तोड़ने पर यूपी पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। मामले की जांच के लिए समय-सीमा तय की जानी चाहिए।