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राम मंदिर निर्माण: दानकर्ता गुदवा सकेंगे अपना और परिवार का नाम, इसलिए मांगा जा रहा तांबे की पत्तियों का दान

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 20, 2020 18:01 IST
copper leaves sought from devotees for construction ram mandir in ayodhya latest news- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV copper leaves sought from devotees for construction ram mandir in ayodhya latest news

नई दिल्ली/अयोध्या। अयोध्या में बीते 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिलान्यास कार्यक्रम के बाद से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो गया है।  राम मंदिर शिलान्यास के बाद गुरुवार (20 अगस्त) को श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक दिल्ली में हुई। राम मंदिर निर्माण के लिए भारतीय प्राचीन और पारंपरिक पद्धति का उपयोग किया जा रहा है। मंदिर के निर्माण में लोहा या सरिया का प्रयोग नहीं किया जाएगा, लोहे की जगह मंदिर निर्माण में तांबे की छड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा।

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को लेकर भी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। बताया गया कि तांबे की पत्तियों के उपयोग से पत्थरों को जोड़ा जाएगा। ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता चंपत राय ने कहा कि मंदिर के निर्माण में लगभग 10 हजार तांबे की छड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो लोग मंदिर निर्माण में मदद करना चाहते हैं तो वह तांबा दान कर सकते हैं।

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ऐसे तांबे की पत्तियां बनवाकर दें दान

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने बैठक में बताया गया कि राम मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा, इसके निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लंबी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएम चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। तीर्थ क्षेत्र ने तांबे की पत्तियां दान करने के लिए भक्तों से आह्वान भी किया है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने रामभक्तों से कहा है कि वह इस तरह की तांबे की पत्तियां दान करें।

तांबे की पत्तियों में गुदवा सकते हैं नाम

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा कि राम मंदिर निर्माण कार्य में लगने वाली इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपना और अपने परिवार, क्षेत्र और मंदिर का नाम तक गुदवा सकेंगे। तीर्थ क्षेत्र का यह भी कहना है कि इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।

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रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट क्षेत्र बैठक की अध्यक्ष्ता नृपेन्द्र मिश्र ने की। इसके अलावा ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी बैठक में शामिल हुए। बताया जा रहा है कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (न्यूयॉर्क) की तर्ज पर तांबे की पर्त बनाकर राम मंदिर का निर्माण होगा। मंदिर सालों साल तक ऐसे ही खड़ा रहे इसके लिए खास तरह से मंदिर निर्माण हो रहा है। नींव को डेढ़ हजार साल सुरक्षित रखने की तकनीक अपनायी जा रही है। 

इसलिए बेहद खास होगा राम मंदिर

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने बताया कि  केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी लार्सन एंड टू्ब्रो के इंजीनियरों ने भूमि की मृदा के परीक्षण का काम शुरू कर दिया है। जमीन की मिट्टी की जांच के बाद आगे का काम शुरू होगा। मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है। राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला का मंदिर 12 सौ खंभों पर खड़ा किया जाएगा।

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भूकंप रोधी होगा राम मंदिर

राम मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। राम मंदिर 1 हजार साल तक रहे, ऐसी योजना बनायी जा रही है। राम मंदिर का क्षेत्रफल ढाई से तीन एकड़ में होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने यह जानकारी दी।

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