प्रयागराज. उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में धर्मांतरण विरोधी कानून का बचाव किया है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फाइल किए गए शपथ पत्र में कहा गया है कि "यह स्पष्ट है कि सामुदायिक हित हमेशा व्यक्तिगत हित से ऊपर रहेगा"। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में लागू धर्मांतरण विरोधी कानून के विरोध में कई याचिकाएं दायर की गई है। यूपी सरकार के स्पेशल सेक्रेटरी (गृह) अतुल कुमार राय द्वारा एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स ट्रस्ट (AALI) की याचिका के जवाब में शपथ पत्र दिया गया है।
यूपी सरकार के एफिडेविट में कहा गया है, " "... जहां भी व्यक्तिगत कानून चलन में आता है और व्यक्ति व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करता है, लेकिन उस समुदाय का व्यक्तिगत कानून जिसमें व्यक्ति अपने (लिंग तटस्थ) धर्म या धार्मिक अभ्यास को बदलकर प्रवेश करना चाहता है, जटिलताओं का कारण बनता है क्योंकि व्यक्ति की गरिमा से समझौता किया जाता है और व्यक्ति को स्थिति की समानता का आश्वासन नहीं दिया जाता है।
शपथपत्र में आगे कहा गया है, "इस प्रकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करते समय व्यक्ति अपनी गरिमा और उस धर्म की समानता को खो देता है जिसे वह नहीं अपनाता है, लेकिन दूसरे के सदस्य के धर्म के समाज में रहकर किसी प्रकार का लाभ लेने की कोशिश कर रहा है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति ने भले ही अपना धर्म नहीं बदला हो, लेकिन केवल अन्य धर्म के सदस्य के साथ रहने के लिए स्वतंत्रता/पसंद के अधिकार का प्रयोग किया हो, लेकिन लाभों से वंचित है क्योंकि नए धर्म का लाभ तब तक उपलब्ध नहीं होगा जब तक कि नए धर्म का अपना न लिया जाए।"
यूपी सरकार ने शपथपत्र में आगे कहा है, " "यह धर्मांतरण", इसलिए, "उस व्यक्ति की पसंद के खिलाफ होगा जो समाज में दूसरे धर्म के सदस्य के साथ रहना चाहता है, लेकिन अपने विश्वास को नहीं छोड़ना चाहता है।" यूपी सरकार के इस हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि धर्म का पालन करने, मानने और प्रचार करने के अधिकार में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं है।
हलफनामे में कहा गया है कि धर्मांतरण विरोधी अधिनियम "सार्वजनिक हित की रक्षा करता है" और "सार्वजनिक व्यवस्था" बनाए रखता है। यह समुदाय की सोच नहीं बल्कि सामुदायिक हित की रक्षा करता है। हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ यूपी ही नहीं, देश के आठ राज्यों ने गैरकानूनी धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाया है। इसमें कहा गया है कि म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी धर्मांतरण विरोधी कानून हैं। इसके अलावा हलफनामे में कहा गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन के कई मामले एफआईआर में दर्ज हैं। हलफनामे के मुताबिक, राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत जुलाई तक 79 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। 50 मामलों में चार्जशीट और सात में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है। 22 मामलों में जांच चल रही है।