Monday, December 23, 2024
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गुपकर समझौते को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे कांग्रेस नेतृत्व: योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के गुपकर समझौते को 'समर्थन' देने पर कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि ‘‘राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करने वाले’’ इस समझौते को लेकर कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 19, 2020 16:48 IST
गुपकर समझौते को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे कांग्रेस नेतृत्व: योगी आदित्यनाथ
Image Source : PTI गुपकर समझौते को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे कांग्रेस नेतृत्व: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के गुपकर समझौते को 'समर्थन' देने पर कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि ‘‘राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करने वाले’’ इस समझौते को लेकर कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करे। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के नेता दिल्ली में कुछ और बात बोलते हैं और जम्मू कश्मीर में कुछ और कार्य करते हैं। देश में सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली राष्ट्रीय पार्टी का यह दोहरा चरित्र निंदनीय है जिसे देश स्वीकार नहीं करेगा। 

इसके लिए पार्टी नेतृत्व को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।’’ योगी ने कांग्रेस नेतृत्व से अनुच्छेद 370 के मसले पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''कांग्रेस का जो दोहरा रवैया है, यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ सीधे सीधे खिलवाड़ है। हम सब जानते हैं कि कांग्रेस ने सदैव राष्ट्रीय स्थिरता के साथ खिलवाड़ किया और यह पार्टी प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से उन तत्वों को प्रेरित और प्रोत्साहित करती रही है जो देश के अंदर अलगाववाद और अराजकता को बढ़ावा देते है। जम्मू कश्मीर के अंदर एक बार फिर से कांग्रेस का यह दोहरा चेहरा देश की जनता के सामने आया है। 

कांग्रेस पार्टी ने ही ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को कभी साकार नहीं होने दिया।'' उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लागू करके प्रदेश में न केवल अलगाववाद को बढ़ावा दिया बल्कि यह पार्टी पूरे देश के अंदर आतंकवाद को प्रेरित और प्रोत्साहित करती रही है। जम्मू कश्मीर के कुछ नेताओं ने गुपकर समझौता किया था। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करने वाले इस समझौते पर दस्तखत करने वालों में वहां के क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ कांग्रेस के स्थानीय नेता भी शामिल हैं। ये लोग दिल्ली में कुछ और बात बोलेंगे और जम्मू कश्मीर में कुछ और कार्य करेंगे।’’ 

योगी ने कहा, ‘‘कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को चाहिए कि वह गुपकर समझौते के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करे। अन्यथा उसका दोहरा चरित्र न केवल देश की सुरक्षा और संप्रभुता की ओर खतरनाक संकेत कर रहा है बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी को कठघरे में खड़ा कर रहा है।'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिये आमंत्रित करने की मंशा क्या है और इन बातों से कांग्रेस का वास्ता किस हद तक है। यह स्थिति कांग्रेस पार्टी को पूरे देश के सामने स्पष्ट करनी चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि भारत के संविधान की शपथ लेकर देश के अंदर सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली पार्टी आज स्थानीय स्तर पर राजनीतिक स्वार्थो के लिये राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। यह जम्मू कश्मीर के लोगों के विकास को अवरूद्ध करने वाला एक कुत्सित प्रयास है।’’ योगी ने कहा, ‘‘अब जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दृढ़संकल्पों से यह सपना साकार हो रहा है, तो कांग्रेस के नेताओं को यह नहीं अच्छा लग रहा। शत्रु देश से मदद लेने की बात करने वाले फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती जैसे नेताओं से जुड़ना कांग्रेस के लिए शर्मनाक है। 

पी.चिदम्बरम और गुलाम नबी आजाद जैसे कांग्रेसी नेता अनुच्छेद 370 की बहाली की बात करते रहे हैं, ये लोग हमेशा से ही अलगाववादी और आतंकवादी विचारों को प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहे हैं।’’ गौरतलब है कि चार अगस्त, 2019 को नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के गुपकर स्थित आवास पर एक सर्वदलीय बैठक हुई थी। वहां एक प्रस्ताव जारी किया गया था, जिसे गुपकर समझौता के नाम से जाना जाता है। 

इसमें पार्टियों ने निर्णय किया कि वे जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और उसके विशेष दर्जे को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करेंगे। इस समझौते में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी सहित जम्मू-कश्मीर के छह बड़े राजनीतिक दल शामिल हैं। गुपकर समझौते के अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था।

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