नई दिल्ली: लखनऊ में हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी का परिवार अंतिम संस्कार को तैयार हो गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कल शाम तक मिलने का वादा किए जाने के बाद वो अंतिम संस्कार को तैयार हुए हैं। उनका समुचित सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। परिवार ने सरकार से 5 करोड़ का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी की मांग की है। कमलेश तिवारी के परिजनों को 48 घंटे के भीतर सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया गया है।
इसके अलावा परिजनों को आर्थिक सहायता, बड़े बेटे को सरकारी नौकरी, सुरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस, लखनऊ में सरकारी योजना में आवास और परिजनों-समर्थकों की शिकायत (पुलिस के दुर्व्यवहार और कार्यवाई को लेकर) की जांच ADM और अपर पुलिस अधीक्षक से जांच और दोषी पुलिस वालों पर कठोर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया है।
कमलेश तिवारी की पत्नी किरण तिवारी की शिकायत पत्र में बिजनौर के दो मौलानाओं का जिक्र है जिनके नाम नसीम क़ासमी और अनवारुलहक़ हैं। दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है लेकिन जब तलाशी शुरू हुई तो दोनों लापता हैं। 2015 में अनवारुलहक़ ने कमलेश तिवारी का सिर कलम करने वालों को 51 लाख के इनाम का ऐलान किया था।
कमलेश पहले हिन्दू महासभा में बड़े पद पर थे। कुछ महीने पहले इन्होंने अपनी पार्टी बनाई। लखनऊ में हजारों की संख्या में कमलेश तिवारी को जानने वाले हैं और जब पता चला कि उनकी हत्या हो गई है तो सब गुस्से से आग-बबूला हो गए। परिवार का गुस्सा आधी रात को उस वक्त और बढ़ गया जब पांच घंटे हो गए थे और शव परिवार वालों को सौंपा नहीं जा रहा था। यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा परिवार वालों से मिलने आए थे लेकिन लोगों का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्हें दरवाजे पर पहुंचने तक नहीं दिया गया।
देर रात परिवार वालों को शव सौंपा गया। पूरा का पूरा प्रशासन कमलेश तिवारी के घर पर खड़ा है। कमलेश तिवारी ने 2018 में अपनी हत्या की आशंका जताई थी, सरकार की ओर से सुरक्षा भी मिली लेकिन कातिल अपने प्लान में कामयाब हो गए। परिवार वाले हत्यारों के लिए फांसी की सजा मांग रहे हैं।
बता दें कि उन्होंने पैगंबर मुहम्मद से जुड़ी अत्यधिक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया था। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उनके खिलाफ एनएसए रद्द कर दिया था।