नोएडा के चर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में तलवार दंपति को बरी किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में तलवार दंपति को बरी कर दिया था। सीबीआई के इस कदम से आरुषि मर्डर केस की मिस्ट्री एकबार फिर उलझती हुई नजर आ रही है।
राजेश और नूपुर तलवार को पिछले साल 12 अक्तूबर को बरी किये जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हेमराज की पत्नी ने पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी जिसके कुछ महीने बाद एजेंसी ने उक्त कदम उठाया। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी ने तलवार दंपति को बरी किये जाने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए अपील दाखिल की।
हाईकोर्ट ने उन्हें इस आधार पर आरोपमुक्त कर दिया था कि उन्हें ऑन रिकार्ड साक्ष्यों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। गाजियाबाद में सीबीआई की एक अदालत ने26 नवंबर, 2013 को तलवार दंपति को मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के आदेश से पहले राजेश और नूपुर तलवार गाजियाबाद की डासना जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
उल्लेखनीय है कि तलवार दंपति की 14 साल की बेटी आरुषि मई 2008 में नोएडा के उनके फ्लैट में अपने कमरे में मृत मिली थी।बाद में उनके नौकर हेमराज का शव भी उसी घर से मिला था। उत्तरप्रदेश पुलिस ने राजेश तलवार पर उसकी बेटी की हत्या का आरोप लगाया था। राजेश तलवार को 23 मई 2008 को गिरफ्तार किया गया था। बाद में, 31 मई 2008 को सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया और शुरुआत में आरुषि के माता-पिता को बरी कर दिया, फिर बाद में दोनों को हत्याओं के लिए इन्हें दोषी ठहराया।
13 जून 2008 को राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया गया। 10 दिन बाद, तलवार के दोस्त के नौकर राज कुमार और विजय मंडल को गिरफ्तार किया गया। सबूत नहीं मिलने के बाद तीनों को रिहा कर दिया गया था।