नई दिल्ली: नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर उत्तर प्रदेश में हंगामा, तोड़फोड़ और आगजनी करने वालों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। एक तरफ यूपी पुलिस तेजी से कार्रवाई करते हुए दंगाईयों की फोटो जारी कर रही है तो दूसरी तरफ आज से प्रशासन की तरफ से हिंसा फैलाने वालों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरु हो गई है। हिंसा, तोड़फो़ड़ और आगजनी करने वालों पर संपत्ति जब्त कर या उनपर फाइन लगाकर प्रशासन नुकसान को वसूलेगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से कुछ लोगों को चिन्हित किया गया है।
लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने चार सदस्यों का एक पैनल बनाया है जो सरकारी और निजी संपत्तियों के नुकसान का आंकलन कर रही है। यही पैनल दंगाईयों की पहचान कर रही है। जो लोग इस नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएंगे उनकी संपत्ति से इसे वसूला जाएगा।
वहीं हिंसा भड़काने के जिम्मेदार तीन मास्टरमाइंड पकड़े गए हैं जिन्होंने पूरे बवाल की प्लानिंग तैयार की थी। इनके पास से भारी तादात में भड़काऊ सीडी और किताबें भी मिली हैं। लखनऊ पुलिस की जांच में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नाम के एक संगठन का हाथ सामने आया जिसके सदस्यों ने मिलकर नफरतवाली पूरी कहानी का प्लाट तैयार किया था।
नदीम, वसीम और अशफाक नाम के ये तीनों दंगाई पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया मेंबर हैं जिनका 19 दिसंबर को किए गए हिंसक प्रदर्शनों में शामिल होने के पुख्ता सबतू मिले हैं। पुलिस ने अपनी जांच में खुलासा किया है कि वसीम, नदीम और अशफाक ने हिंसा फैलाने की पूरी योजना की प्लानिंग की थी।
लखनऊ पुलिस को पूछताछ के दौरान कई और दूसरे संगठनों का भी पता चला है जो हिंसा के जिम्मेदार है। पुलिस ने रॉबिन वर्मा और मोहम्मद शोहेब नाम के दो और दंगाईयों को पकड़ा है जिनके खिलाफ हिंसा भड़काने के सबूत मिले हैं।
जांच में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के भूमिका संदिग्ध पाई गई है। लखनऊ के अलावा दूसरे जिलों के पीएफआई के सदस्यों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है जिसकी धरपकड़ की जा रही है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही हिंस्सा के कई और जिम्मेदार पकड़े जाएंगे। प्रदेश के शामली जिले में भी पीएफआई के 14 सदस्यों सहित 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।