कानपुर: कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच एक तरफ जहां ऑक्सीजन की कमी हो रही है वहीं रेमडेसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी तेज हो गई है। आज के समय में कोरोना से लड़ रहे गंभीर मरीजों के लिए जो दवा किसी संजीवनी से कम नहीं है जो इंजेक्शन हजारों, लाखों कोरोना मरीजों की जान बचा सकते हैं। तस्कर उसी इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे थे, उसे ऊंचे दाम पर बेच रहे थे। इन सबके बीच सरकार ने विदेश से ऑक्सीजन आयात करने का बड़ा फैसला लिया है। मेडिकल इक्वीपमेंट और देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता की समीक्षा करने के लिए एम्पावर्ड ग्रुप की बैठक में देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक करने पर भी फैसला हुआ।
दरअसल, देश भर में कोरोना के बढ़ते मामले लोगों को भयभीत कर रहे हैं। ऐसे में वैक्सीन की बढ़ती मांग से कई शहरों में इसका अभाव है। वैक्सीन की कमी जिन शहरों में है उसमें कानपुर का नाम भी शामिल है। लेकिन जब शहर में गुरुवार शाम एसटीएफ की कानपुर इकाई को ब्लैक मार्केटिंग करने वालों की जानकारी मिली तो पुलिस महकमा अलर्ट मोड पर आ गया। एसटीएफ और बाबूपुरवा पुलिस ने तीन शातिरों को किदवईनगर चौराहे के पास से गिरफ्तार किया है। तीनों के पास से करीब 265 इंजेक्शन बरामद हुए हैं।
मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट, लखनऊ ने यूपी एसटीएफ को जानकारी दी गई कि कानपुर में रेमडेसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है जिसके बाद कानपुर के लोकल थाने की पुलिस के साथ मिलकर 3 लोगों को पकड़ा गया, इनके पास से 265 वाइल्स इंजेक्शन बरामद हुई है। डीसीपी साउथ रवीना त्यागी ने इंजेक्शन की कालाबाजारी में शामिल आरोपितों के नाम बताए। उन्होंने कहा कि इसमें नौबस्ता पशुपति नगर निवासी प्रशांत शुक्ल, नौबस्ता बकटौरी पुरवा निवासी मोहन सोनी को पकड़ा गया है। इनकी निशानदेही पर यमुना नगर हरियाणा निवासी सचिन कुमार को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।
आपको बता दें कि कोरोना के केस बढ़ते ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी हो गई है। कमी को देखते हुए यूपी के सीएम योगी ने खुद पहल की और अपना जहाज भेजकर रेमडेसिविर इंजेक्शन की 25 हजार डोज मंगवाई है लेकिन ये तस्कर ऐसे ही इंजेक्शन की तस्करी कर रहे थे।