लखनऊ: लोकसभा चुनाव की जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश में 11 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। पिछले उपचुनावों का अच्छा अनुभव न रहने के कारण भाजपा इस बार अपनी हार का मिथक तोड़ना चाहती है। उपचुनाव को लेकर भाजपा संगठन और सरकार ने मिलकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा इस बार 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि प्रतापगढ़ सीट सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में दी गई है।
साल 2017 के चुनाव में इन 10 सीटों में से बसपा और सपा ने सिर्फ दो सीटें जलालपुर और रामपुर जीती थीं, लेकिन अबकी भाजपा सभी पर नजर गड़ाए हुए है। भाजपा की कोशिश है कि इस बार के चुनाव में सभी सीटों पर जीत दर्ज हो, ताकि अभी तक हुए उपचुनावों में हुई हार का मिथक टूट सके।
चुनाव की घोषणा के पहले मुख्यमंत्री योगी, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव और संगठन महामंत्री सुनील बंसल चुनाव वाले क्षेत्रों का दौरा कर कई कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं।
अब दूसरे चरण में जहां उपचुनाव होने हैं, वहां पर जनसभा, बूथ सम्मेलन, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित वर्ग, महिला, अल्पसंख्यक और किसान सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। हर क्षेत्र में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव या प्रदेश सरकार के किसी मंत्री का कार्यक्रम हो रहा है। प्रभारी मंत्री भी अपने क्षेत्रों में डेरा जमाए हुए हैं।
मुख्यमंत्री योगी भी पिछले दो माह के दौरान जिन क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, वहां के मंडलों का दौरा कर विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर चुके हैं। अब आगे वह चुनाव प्रचार की रैलियों को संबोधित करेंगे।
प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने बताया कि बैठक में विधानसभा उपचुनाव की की कार्ययोजना की समीक्षा हुई और रणनीति पर चर्चा हुई। 15 अक्टूबर को योगी कानपुर के गोविंदनगर, चित्रकूट के मानिकपुर, लखनऊ कैंट और प्रतापगढ़ जिले के प्रतापगढ़ सदर विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे।
मुख्यमंत्री 16 अक्टूबर को बाराबंकी के जैदपुर, अंबेडकरनगर के जलालपुर, बहराइच के बलहा और मऊ के घोसी विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे। वह 18 अक्टूबर को सहारनपुर जिला की गंगोह, रामपुर, अलीगढ़ जिले के इग्लास विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे।
भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि यह उपचुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर यह उपचुनाव विपक्ष जीत जाता है तो सत्ताधारियों का मनोबल कमजोर होगा। आगे साल 2022 के चुनाव में भी मुश्किल होगी। इसीलिए इस बार संगठन और सरकार का समन्वय बनाकर इसमें पूरी ताकत झोंकी गई है।
उन्होंने कहा कि हमीरपुर के परिणाम ने भाजपा को सर्तक कर दिया है। वहां का वोट प्रतिशत बहुत ज्यादा घटा है। जीत का अंतर पहले से बहुत कम हुआ है।
कार्यकर्ता ने कहा कि उपचुनाव में मुख्यमंत्री की साख का भी सवाल है। अबकी पूरा दारोमदार उन्हीं पर है। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य भी महाराष्ट्र चुनाव में व्यस्तता के कारण ज्यादा समय अपने प्रदेश के उपचुनाव में नहीं दे पाएंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी को ही पूरी गाड़ी संभालनी पड़ेगी। जिन सीटों पर सपा-बसपा जीती थी, वहां उन्हें हराकर अपने जीत को बरकार रखने की चुनौती भी है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रेमशंकर मिश्रा का कहना है, "भाजपा उपचुनाव में हार के मिथक को तोड़ना चाहती है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है, वहां मुख्यमंत्री योगी की जनसभाएं हुई हैं और होंगी। वहीं विपक्ष की ओर से कोई बड़ा चेहरा अपने प्रत्याशी के प्रचार में नहीं उतरा है और न ही उसका कोई कार्यक्रम प्रस्तावित है। भाजपा इन उपचुनावों में जीत हासिल कर यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि उसकी नीतियों पर जनता का विश्वास कायम है। विपक्ष के लिए कोई जमीन नहीं है।"