नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृहनगर इलाहाबाद में बीजेपी के एक पार्षद पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया। अज्ञात बदमाशों ने बीजेपी पार्षद पर उस वक्त फायरिंग की जब वह रात को स्कूटी से अपने घर वापस जा रहे थे। बीजेपी पार्षद पवन केसरी सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी के बेहद करीबी थे। बीजेपी पार्षद की हत्या किसने और क्यों की, फिलहाल यह साफ़ नहीं हो सका है। पुलिस ने शक के आधार पर तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है।
मृतक बीजेपी पार्षद ने गोली लगने से सिर्फ एक घंटे पहले ही इलाहाबाद के एसएसपी से फोन पर बात की थी और मुलाकात के लिए उनसे वक्त मांगा था। पुलिस अफसरों का मानना है कि क़त्ल की यह वारदात किसी आपसी रंजिश में अंजाम दी गई है, जबकि इलाके के बीजेपी विधायक प्रवीण पटेल का मानना है कि योगी सरकार द्वारा अपराधियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से परेशान होकर किसी बदमाश ने सियासी वजहों से इस घटना को अंजाम दिया है। बीजेपी पार्षद की हत्या से इलाहाबाद में सनसनी फ़ैल गई है।
यह सनसनीखेज वारदात शहर से तकरीबन पैंतालीस किलोमीटर दूर फूलपुर इलाके की है। मौत के घाट उतारे गये तकरीबन पैंतीस साल के पवन केसरी बीजेपी युवा मोर्चा में जिले का महामंत्री रह चुके हैं। वह संघ से भी जुड़े हुए थे और आरएसएस का शाखा प्रमुख भी रहे हैं। मौजूदा समय में वह फूलपुर नगर पंचायत के वार्ड नंबर ग्यारह से पार्षद थे। मंगलवार की रात तकरीबन सवा दस बजे जब वह स्कूटी से वापस अपने घर जा रहे थे तभी कुछ सामान लेने के लिए एक दुकान के बाहर रुके। पीछा कर रहे बदमाशों ने वहां तीन से चार राउंड फायरिंग की। सीने पर एक गोली लगने से पवन ज़मीन पर गिरकर तड़पने लगे। समर्थक और पुलिस उन्हें फ़ौरन शहर के एक सरकारी अस्पताल ले आए, लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही उनकी मौत हो गई।
परिवार वालों ने इस मामले में किसी बड़ी रंजिश से इंकार किया है। ऐसे में अभी यह साफ़ नहीं हो सका है कि बीजेपी पार्षद की हत्या किसने और क्यों की। वैसे पुलिस अफसरों का कहना है कि उन्हें कुछ क्लू मिले हैं और वह चौबीस घंटे में मामले का खुलासा कर देंगे। पवन अपने इलाके के तमाम मुद्दे उठाते रहे है जिसकी वजह से गांव में इनकी कई लोगो से अदावत चल रही थी। इन्होंने कई मामलों में पुलिस को 3 से 4 अलग-अलग मामलों में एप्लिकेशन दे राखी थी जिसमें ज़मीन का विवाद भी था।