लखनऊ: योगी सरकार बिकरू कांड मामले में एक बार फिर से ऐक्शन मोड में आ गई है। गुरूवार को योगी सरकार ने तत्कालीन डीआईजी रहे अनंतदेव तिवारी को निलंबित कर दिया है। बिकरू कांड के बाद अंनतदेव तिवारी को डीआईजी एसटीएफ से हटाकर पीएसी मुरादाबाद भेजा गया था। वहीं बिकरू कांड के वक्त एसएसपी रहे दिनेश कुमार पी को नोटिस भेजा गया है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में पुलिस और गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है।
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि अनंतदेव को निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। इस सवाल पर कि क्या कुछ अन्य पुलिस अधिकारी भी निलंबित किए गए हैं, अवस्थी ने कहा कि अभी फिलहाल अनंतदेव के ही खिलाफ कार्रवाई की गई है।
बता दें कि बिकरू हत्याकांड के बाद विकास दुबे के खजांची रहे जय वाजपेई की फोटो सोशल मीडिया पर तत्कालीन डीआईजी अंनतदेव तिवारी के साथ वायरल हुई थी। इसके साथ ही शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की एक चिट्ठी वायरल हुई थी जिसमें शहीद सीओ ने तत्कालीन चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और विकास दुबे की संबंधों का जिक्र किया गया था लेकिन तत्कालीन डीआईजी तत्कालीन चौबेपुर एसओ पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की थी। इसके बाद से तत्कालीन डीआईजी की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे।
गौरतलब है कि गत दो-तीन जुलाई की दरम्यानी रात को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र स्थित बिकरू गांव में माफिया सरगना विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई थीं। इस वारदात में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने पुलिस तथा गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात उजागर करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी।
मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने पुलिस तथा गैंगस्टर विकास दुबे के बीच सांठगांठ की बात उजागर करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। पिछले हफ्ते सरकार को सौंपी गई 3500 पन्नों की रिपोर्ट में एसआईटी में 36 सिफारिशें की हैं और 80 पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों की भूमिका के बारे में विस्तार से जिक्र किया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, एसआईटी की जांच में यह पता चला है कि पुलिसकर्मियों ने दो जुलाई की रात को वारदात से पहले पुलिस की दबिश के बारे में विकास दुबे को जानकारी दे दी थी, लिहाजा उसने पुलिस पर हमला करने की पूरी तैयारी कर ली थी। एसआईटी ने अनेक आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद दुबे के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने की बात भी अपनी रिपोर्ट में कही है। एसआईटी ने दुबे और उसके गुर्गों को अदालत से सजा दिलवा पाने में पुलिस की नाकामी का भी जिक्र किया है।
जांच के दौरान एसआईटी ने विकास दुबे के मोबाइल फोन का पिछले एक साल का रिकॉर्ड भी जांचा जिसमें यह पाया गया कि कई पुलिसकर्मी लगातार उसके संपर्क में थे। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई वाली एसआईटी में अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रविंदर गौड सदस्य थे। एसआईटी को पहले 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन बाद में उसका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था।