नई दिल्ली: जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर सपा सांसद आजम खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब वो एक नई मुसीबत में फंस गए हैं। जौहर यूनिवर्सिटी को लीज पर दी गई जमीन से खैर के पेड़ गायब होने के मामले में आजम खान फंसते नजर आ रहे हैं। लीज पर ली गई जमीन से पेड़ गायब होने के मामले में अब जांच होने वाली है।
उत्तर प्रदेश में अब आजम खान की पहचान नेता से भूमाफिया की हो गई है। शुक्रवार को अब एक और पहचान हो गई। पता चला है जमीन को तो किसानों से छिन ही लेते थे, यूनिवर्सिटी के पेड़ों को भी बेच रहे थे। नया आरोप ये है कि इन्होंने यूनिवर्सिटी बनाने के लिए 2173 पेड़ों को भी गायब कर दिया।
प्रशासन ने रामपुर में सैकड़ों एकड़ जमीन जौहर यूनिवर्सिटी को लीज पर ये कहकर दिया था कि एक भी खैर के पेड़ कटने नहीं चाहिए। ये सभी पेड़ खास हैं लेकिन अब जांच हो रही है तो पता चला दो हजार एक सौ तेहत्तर पेड़ में से एक भी पेड़ नहीं बचा। अब जांच होगी कि आजम खान ने पेड़ का क्या किया, बेच दिया या फिर यूनिवर्सिटी में छात्रों को बैठने के लिए बेंच बना दिया।
जब तक समाजवादी पार्टी की सरकार थी जौहर यूनिवर्सिटी में कोई ताक झांक नहीं सकता था। अब सरकार झांक रही है तो पता चल रहा है कि जौहर यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका था। प्रशासन के साथ-साथ आजम खान को कोर्ट से भी झटका लगा है।
27 एफआईआर पर आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली। उन्होंने रामपुर में दर्ज हुई 27 एफआईआर को रद्द किये जाने की गुहार लगाई थी। आजम खान के वकील चाहते थे कि 27 एफआईआर को रद्द करके सभी मामलों को एक साथ सुना जाए लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब क्राइम नंबर अलग-अलग, शिकायतें अलग-अलग तो सुनवाई एक साथ कैसे हो सकती है।