सीईओ ने मानी गड़बड़ी की बात
इस रिपोर्ट में पहली शिकायत के तौर पर इलाहाबाद के शाहेनशीं इमामबाड़ा को ध्वस्त करने और उसके 200 साल पुराने पोर्चों को खत्म करने का आरोप है। इस जमीन पर कर्मशियल कॉम्प्लैक्स बनाया गया। ये सब नियम कायदों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। जांच में शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के CEO ने गड़बड़ी की बात मानी। इतना ही नही ये भी मालूम पड़ा कि शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने वक़्फ़ की 54 दुकानों को अनिश्चित काल के लिए लीज पर दे दिया। यहां केयरटेकर भी अवैध तरीके से नियुक्त किया गया। जांच में इन सारी ही कार्यवाही को अवैध घोषित कर दिया गया।
वसीम रिजवी पर की गई 7 FIR, एक पर भी ऐक्शन नहीं
शिकायत में कहा गया है कि वसीम रिजवी पर कम से कम 7 FIR दर्ज की गईं, लेकिन एक में भी ऐक्शन नहीं लिया गया क्योंकि वसीम रिजवी आजम खान के खासमखास हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वसीम रिज़वी को ही आज़म के बेटे अब्दुल्ला आजम की चुनाव फंडिंग के लिए वसूली का जिम्मा सौंपा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक जांच में शिकायतों को सही पाया गया लेकिन आज़म खान के रसूख के चलते इन मामलों में वसीम रिजवी पर कोई ऐक्शन नहीं हुआ। इस रिपोर्ट में लखनऊ की एक और वक्फ की संपत्ति में घोटाले का जिक्र है। रिपोर्ट में लिखा है कि इस प्रॉपर्टी के केयरटेकर ने ही इसे दो हिस्सों में बांट दिया था और यहां की कीमती चीजों को अपनी एंटीक की दुकान कर ली थी। बड़ी बात ये है कि 2015 में उस वक्त के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इसकी शिकायत भी की गई थी लेकिन कोई ऐक्शन नहीं हुआ था।
एक और केस में हेराफेरी का इल्जाम
शिया वक्फ बोर्ड को करोड़ों के नुकसान पहुंचाने वाला एक और केस रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक समाजवादी पार्टी के एमएलसी बुक्कल नवाब पर अपनी वाइफ को वक्फ की प्रॉपर्टी गिफ्ट करने का इल्जाम है। इस प्रॉपर्टी की कीमत 100 करोड़ रुपये बताई गई है। इसकी शिकायत मोती मस्जिद शिया ट्रस्ट ने की थी। आरोप है कि 2012 में वक्फ की प्रॉपर्टी के रोड साइड वाले हिस्से को बुक्कल नवाब ने अपनी वाइफ महजबीं आरा के नाम ट्रांसफर कर दिया। इससे शिया वक्फ बोर्ड को करीब 100 करोड़ का नुकसान हुआ। इस मामले की शिकायत मौलाना कल्बे जव्वाद ने आज़म खान से की, लेकिन आज़म खान के रसूख के चलते कोई ऐक्शन नहीं हुआ। उल्टा कल्बे जव्वाब को आज़म खान ने ठग करार दे दिया।