नई दिल्ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मंगलवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड की अहम बैठक हुई। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले पर रिव्यू पीटिशन दाखिल नहीं करेगा। इस बैठक से पहले 100 मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अपील की थी के मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पीटिशन ना दाखिल करे तो बेहतर है।
9 नवंबर से पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुन्नी वक्फ बोर्ड और पर्सनल लॉ बोर्ड को मंजूर था लेकिन फैसला आते ही मुस्लिम पक्षकार असमंजस में पड़ गए। पर्सनल लॉ बोर्ड ने तो रिव्यू फाइल करने का फैसला कर लिया लेकिन अयोध्या मामले को लेकर कोर्ट में लड़ाई लड़ने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आज इस मामले में अहम बैठक की । इस बैठक में 7 में से 6 सदस्यों ने रिव्यू पीटिशन दाखिल करने पर असहमति जताई है।
इस बैठक में यह फैसला नहीं हो पाया कि कोर्ट से मिली 5 एकड़ जमीन लेनी है या नहीं। इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने लोगों से ये सुझाव भी मांगा था कि 5 एकड़ जमीन का क्या करें। कई लोगों ने वहां स्कूल और कॉलेज बनवाने का सुझाव दिया था।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को करें या ना करें वाली हालत में लाने के पीछे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड था। सुन्नी वक्फ बोर्ड रिव्यू पीटिशन दाखिल नहीं करना चाहता लेकिन एआईएमपीएलबी रिव्यू पीटिशन के पक्ष में थे। सुन्नी वक्फ बोर्ड 5 एकड़ जमीन पर राजी था वहीं एआईएमपीएलबी का मानना था कि बाबरी जैसा ढांचा दुबारा नहीं बन सकता।
सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समाजिक नजरिए से देख रहा था तो एआईएमपीएलबी रिव्यू पीटिशन को कानून अधिकार बता रहा था। सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह ही मुद्दई भी बंटे हुए थे। इकबााल अंसारी 5 एकड़ जमीन से खुश थे तो मोहम्मद उमर कोर्ट जाना चाहते थे।
इधर देश की 100 मुस्लिम शख्सियतों ने रिव्यू पीटिशन के खिलाफ बयान पर दस्तखत किए थे जिसमें इस्लामी स्कॉलर से लेकर म्यूजिशियन और स्टूडेंट भी शामिल थे। इनमें शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, अंजुम राजबली, हसन रिजवी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और जर्नलिस्ट जावेद आनंद समेत 100 हस्तियां शामिल थी।