नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर स्थिति साफ की है। राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रविवार को कहा कि जिस दिन मंदिर बनना शुरू हो जाएगा, हम 36 से 39 महीनों में इसे पूरा कर देंगे। हम सोचते थे जून में ही मंदिर बनना शुरू हो जाएगा लेकिन 7 महीने से स्ट्डी पूरी नहीं हो रही। जमीन के नीचे भुरभुरी बालू है या गहराई तक कोई मलबा भरा पड़ा है। इसलिए ऐसा फाउंडेशन हो, जो वजन को शताब्दियों तक सहन कर सके। इसी को ध्यान मे रखते हुए काम किया जा रहा है।
14 जनवरी से शुरू होगा निर्माण कार्य!
चंपत राय ने कहा कि जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण होना है, उस स्थान पर सरयू नदी की धारा से उत्पन्न समस्या का समाधान एक सप्ताह के भीतर मिल जाएगा। चंपत राय ने पहले ही कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 14 जनवरी (मकर संक्रांति) से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर को लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए पत्थर और तांबे के विशेष संयोजन का उपयोग करके बनाया जाएगा। इस पद्धति के साथ, निर्माण की लागत कई गुना बढ़ जाएगी। इसलिए, 11 करोड़ लोगों से संपर्क करके धन एकत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि 4 लाख से अधिक विहिप कार्यकर्ता धन एकत्र करने के कार्य में लगाया गया है। बता दें कि, जहां स्थान पर राम मंदिर को बनाया जाना है, उस जगह पर 200 फीट के नीचे सरयू का प्रवाह और बालू मिल रहा है। इसकी वजह से मंदिर की नींव भरने का काम रुक गया है।
कई महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थाएं कर रही हैं अध्ययन
श्रीराम मंदिर शताब्दियों तक स्थिर रहे, इसके लिए मंदिर के लिए बनाई जाने वाली नींव का अध्ययन इसरो सहित देश की कई महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थाएं कर रही हैं। चेन्नई आईआईटी के विशेषज्ञ मंदिर निर्माण में प्रयोग होने वाली सीमेंट और कंक्रीट की उम्र बढ़ाने को लेकर शोध कर रहे हैं। आम तौर पर सीमेंट और कंक्रीट की उम्र 150 वर्ष आंकी गई है। मंदिर की नींव के 70 मीटर नीचे तक का अध्ययन किया जा रहा है। नींव के ऊपर से लेकर पूरे मंदिर में करीब चार लाख घन मीटर पत्थर का इस्तेमाल होगा। यह मंदिर राष्ट्रीय धरोहर होगा। इसी उद्देश्य को लेकर इसके हर हिस्से का निर्माण बहुत सोच विचार और शोध के साथ किया जाएगा। जिन संस्थाओं के विशेषज्ञ मंदिर निर्माण के शोध में लगे हैं, उसमें आईआईटी चेन्नई, बांबे, गुवाहाटी, दिल्ली, एनजीआरआई हैदराबाद, एनआईटी सूरत, टाटा और लार्सन ट्रूबो के विशेषज्ञ शामिल हैं।
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