नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पूरी हो गई है। आज लगातार सुनवाई का नवां दिन था, हालांकि सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी थी। इससेे पहले मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने ‘राम लला विराजमान’ के वकील सी.एस वैद्यनाथन की दलीलें सुनी थी।
अयोध्या मामले पर सुनवाई खत्म हो गई है। बेंच उठ गई है।
Aug 21, 20193:56 PM (IST)
CJI रंजन गोगोई ने कहा कि वह खुद और जस्टिस नज़ीर हिंदी नहीं पढ़ सकते। (इसलिए फिलहाल ट्रांसलेशन को ही पढ़ा जा रहा है।)
Aug 21, 20193:56 PM (IST)
रंजीत कुमार ने कहा कि वह हिंदी में अपना केस प्रेजेंट करना चाहते हैं। क्योंकि, ट्रांसलेशन सही नहीं हुई है।
Aug 21, 20193:55 PM (IST)
संवैधानिक पीठ की तरफ से दलीलों पर सवाल उठाए गए। वीएन सिन्हा ने कहा कि उन्हें पता नहीं था कि उनकी बारी इतनी जल्दी आ जाएगी। वह फिलहाल पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इसलिए, अब गोपाल सिंह विशारद की तरफ से रंजीत कुमार अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं।
Aug 21, 20193:54 PM (IST)
CJI रंजन गोगोई ने पीएन मिश्र से कहा है कि आप पूरी तैयारी करके लाएं और शुक्रवार को अपनी दलीलें रखें। अब हिन्दू महासभा की तरफ से वीएल सिन्हा अपनी दलीलें रखेंगे।
Aug 21, 201912:04 PM (IST)
जानिए अदालत में आज क्या हुआ-
रामलला विराजमान के वकील एस वैद्यनाथन प्रतिकूल कब्ज़े को लेकर अपनी बात रख रहे हैं। उन्होंने कहा अगर हिन्दू किसी दिव्य शक्ति के इतने लंबे समय से पूजा कर रहे हैं, तो इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
वैद्यनाथन: 12 वर्ष तक किसी मालिक की निष्क्रियता उस जगह से उसका मालिकाना हक खत्म कर देती है, क्योंकि यहां मालिक एक देवता है इसलिए उनका मालिकाना हक खत्म नहीं हो सकता। इतने लंबे समय तक यहां पूजा करके श्रद्धालुओं ने इसपे अपना मालिकाना हक बना लिया है इसलिए यहां कोई प्रतिकूल कब्ज़ा नहीं हो सकता। जस्टिस बोबड़े: किस जजमेंट में ये कहा गया है कि एक देवता का अधिकार अहस्तांतरणीय है? वैद्यनाथन: 1995 के जजमेंट में वैद्यनाथन: देवता हमेशा उस संपत्ति का मालिकाना अधिकार रखते हैं, फिर चाहे देवता नाबालिग ही क्यों न हो, उस संपत्ति पर प्रतिकूल कब्ज़ा नहीं किया जा सकता। जस्टिस बोबड़े: आपका ये मतलब है कि जिस संपत्ति पर देवता का मालिकाना हक है वह अहस्तांतरणीय है यानि कोई भी व्यक्ति इस पर प्रतिकूल कब्ज़ा नहीं कर सकता और न इस सम्पत्ति को हासिल करने के लिए कोई मालिक को टाइटल पास नहीं किया जा सकता।
वैद्यनाथन: जी बिल्कुल सही, उस जगह पर मन्दिर बनाकर और मूर्ति की स्थापना करके उसे पवित्र किया गया था और किसी जगज की पवित्रता को न तो बेचा जा सकता है और न ही उसपर कब्ज़ा किया जा सकता है क्योंकि उस स्थान की एक धार्मिक पवित्रता है
Aug 21, 20199:48 AM (IST)
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज 9वें दिन सुनवाई, राम लला विराजमान के वकील अपनी दलील जारी रखेंगे
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