लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या के सिलसिले में शनिवार को एक और वांछित पुलिसकर्मी को गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि उप निरीक्षक विजय यादव को गोरखपुर में उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह भागने की कोशिश कर रहा था। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए शनिवार को पूर्वाह्न करीब 12 बजकर 40 मिनट पर जौनपुर निवासी आरोपी विजय यादव (32) को गोरखपुर के रेलवे संग्रहालय के पास से गिरफ्तार कर लिया। मनीष गुप्ता की हत्या (Manish Gupta Murder Case) के सिलसिले में गिरफ्तार वह छठा आरोपी है।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने शनिवार को यहां एक बयान में कहा कि विजय यादव की गिरफ्तारी के साथ ही मामले में नामजद सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बुधवार (13 अक्टूबर) को मुख्य आरक्षी कमलेश कुमार यादव को एक गुप्त सूचना पर गिरफ्तार किया गया था, जब वह अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहा था। इसके पहले मंगलवार को उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) राहुल दुबे और आरक्षी (कांस्टेबल) प्रशांत कुमार को एक मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार किया गया था जो गोरखपुर की अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहे थे। पुलिस निरीक्षक जगत नारायण सिंह और उपनिरीक्षक अक्षय मिश्रा को भी 10 अक्टूबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
बता दें कि, पिछले महीने गोरखपुर के एक होटल में गुप्ता (36) की पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। कानपुर पुलिस ने पहले सभी छह आरोपियों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपये का इनाम रखा था लेकिन, बाद में उसे बढ़ाकर एक-एक लाख रुपये कर दिया। कानपुर के पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया था कि व्यापारी की हत्या में आरोपित फरार पुलिस निरीक्षक अमेठी निवासी जगत नारायण सिंह, उपनिरीक्षक बलिया निवासी अक्षय कुमार मिश्रा, जौनपुर निवासी विजय यादव तथा मिर्जापुर निवासी राहुल दुबे, प्रधान आरक्षी कमलेश सिंह यादव और आरक्षी प्रशांत कुमार (दोनों निवासी गाजीपुर) पर एक-एक लाख रुपये इनाम की घोषणा की गयी है। मामले में दर्ज प्राथमिकी में छह पुलिसकर्मियों के नाम थे और उनमें सभी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के व्यापारी की गोरखपुर में पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर पिटाई के बाद मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की संस्तुति करते हुए केंद्र सरकार को एक अक्टूबर को प्रस्ताव भेजा है। राज्य सरकार ने यह भी तय किया है कि जब तक सीबीआई जांच को अपने हाथ में नहीं ले लेती तब तक मामले की जांच कानपुर में स्थानांतरित की जाएगी जहां विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच करेगा।