मथुरा. कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं फ्रंट लाइन वर्कर्स, इन्हीं में शामिल हैं एंबुलेंस ड्राइवर्स जो हर रोज सैंकड़ों संक्रमितों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं। मानव सेवा में ये लोग कितने समर्पित हैं, इसका अंदाजा आप मैनपुरी के प्रभात यादव की कर्मठता से लगाईए, जिन्होंने अपनी मां की मौत की खबर मिलने के बाद भी कई कोविड मरीजों को अस्पताल पहुंचाया और फिर अपने गांव उनका अंतिम संस्कार करने के लिए गए।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, 33 साल के प्रभात यादव पिछले 9 सालों से मथुरा में एंबुलेंस चला रहे हैं। बीती 15 मई को उन्हें खबर मिली कि उनकी मां का निधन हो गया है, इस समय प्रभात एक मरीज को लेकर अस्पताल जा रहे थे। मां के गुजर जाने के बाद भी प्रभात कोविड मरीजों को अस्पताल पहुंचाते रहे। उन्होंने उस रात 15 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया और फिर वहां से 200 किमी दूर अपने गांव में मां के अंतिम संस्कार के लिए रवाना हुए।
इतना ही नहीं, मां का अंतिम संस्कार करने के बाद प्रभात, तुरंत अपनी ड्यूटी पर भी वापस लौटे। प्रभात ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, "हम हर रोज बहुत ज्यादा गंभीर रोगियों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं। उनके परिवारों को हमारी मदद चाहिए। मैं घर बैठ कर अपनी मां की मृत्यु का शोक नहीं मना सकता। अगर मैंने कुछ मरीजों का जीवन बचा लिया तो निश्चित ही मेरी मां मुझ पर खुश होंगी।"
अखबर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल प्रभात यादव के पिता की मृत्यु भी कोरोना के कारण हो गई थी। तब भी प्रभात ने मरीजों की सेवा से सिर्फ एक दिन का ब्रेक लिया था और अपने पिता के अंतिम संस्कार के बाद अपनी ड्यूटी पर वापस लौटे थे। मथुरा में 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के प्रोग्राम मैनेजर अजय सिंह ने कहा, "मैंने प्रभात को उनकी माँ के अंतिम संस्कार के बाद कुछ दिनों के लिए घर पर रहने और कुछ समय के लिए छुट्टी लेने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने जल्द से जल्द वापस आने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वो लोगों की मदद करना चाहते हैं। वह काम के प्रति समर्पित वर्कर हैं, हमेशा सहायक होते हैं।"