प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे पड़े शवों का अंतिम संस्कार करने का निर्देश राज्य सरकार को देने की मांग वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। अदालत ने याचिकाकर्ता को गंगा के किनारे रहने वाले विभिन्न समुदायों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था के संबंध में पूछताछ और अनुसंधान के बाद नए सिरे से याचिका दायर करने की इजाजत दी। मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने याचिकाकर्ता का यह तर्क खारिज कर दिया कि प्रयागराज में गंगा के किनारे विभिन्न घाटों पर दफनाए गए शवों का धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
अदालत ने कहा, ‘इस पूरी याचिका पर गौर करने के बाद हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता ने गंगा के किनारे रह रहे विभिन्न समुदायों में प्रचलित रीति रिवाजों के संबंध में ठीक से अनुसंधान कार्य नहीं किया है।’ याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, ‘इसलिए हम इस चरण में इस मामले में दखल देने के इच्छुक नहीं है। इसके बजाय, हम याचिकाकर्ता को गंगा के किनारे रहने वाले विभिन्न समुदायों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था के संबंध में पूछताछ और अनुसंधान के बाद नए सिरे से याचिका दायर करने की अनुमति देते हैं।’
बता दें कि गंगा नदी में फतेहपुर, उन्नाव, बलिया, गाजीपुर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में शव मिले थे और आशंका जताई गई थी कि कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों के शवों को नदी में फेंक दिया गया है। इस मामले को लेकर राजनीति भी खूब हुई थी और विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। हालांकि बाद में यह बात सामने आई थी कि कुछ परिवार अपनी परंपराओं के मुताबिक ही गंगा के पास रेत में शवों को दफना रहे थे।