प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा कि बालिग होने पर व्यक्ति अपनी इच्छा से और अपनी शर्तों पर जिंदगी जी सकता है। न्यायालय ने एटा जिले की एक युवती द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने को जायज ठहराया और उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने 18 दिसंबर को दिए एक फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता शिखा हाईस्कूल के प्रमाण पत्र के मुताबिक बालिग हो चुकी है, उसे अपनी इच्छा और शर्तों पर जीवन जीने का हक है। उसने अपने पति सलमान उर्फ करण के साथ जीवन जीने की इच्छा जताई है इसलिए वह आगे बढ़ने को स्वतंत्र है।
इच्छा के बगैर मां बाप को सौंपा
उल्लेखनीय है कि एटा जिले के कोतवाली देहात पुलिस थाने में 27 सितंबर, 2020 को सलमान उर्फ करण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसे अदालत ने रद्द कर दिया। इससे पूर्व एटा जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 7 दिसंबर, 2020 के अपने आदेश में शिखा को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था जिसने 8 दिसंबर, 2020 को शिखा को उसकी इच्छा के बगैर उसके मां-बाप को सौंप दिया।
मार्कशीट के आधार पर फैसला
अदालत ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और बाल कल्याण समिति की कार्रवाई में कानूनी प्रावधानों के उपयोग में खामी देखी गई। उल्लेखनीय है कि अदालत के निर्देश पर शिखा को पेश किया गया जिसने बताया कि हाईस्कूल प्रमाण पत्र के मुताबिक उसकी जन्म तिथि 4 अक्टूबर, 1999 है और वह बालिग है।