लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसों पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है? हाईकोर्ट ने मदरसों को लेकर कई सवाल पूछे हैं और सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है। मामले में अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी। दरअसल, मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की प्रबंध समिति ने कोर्ट में याचिका दायर की है। ये मदरसा मान्यता और सरकारी सहायता प्राप्त है। मदरसे ने अतिरिक्त पदों पर भर्ती की इजाजत मांगी थी जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ मदरसे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर अब कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछे हैं।
मदरसों पर हाईकोर्ट ने क्या कहा है?
कोर्ट ने पूछा है- क्या सेक्युलर स्टेट मदरसों को फंड दे सकता है ? मदरसे धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थान हैं ऐसे में क्या मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 का पालन कर रहे हैं? क्या मदरसे सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं? क्या अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश-पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं? क्या मदरसों में आर्टिकल 21-21 A का पालन हो रहा है? क्या मदरसों में खेल के मैदान की अनिवार्यता का पालन हो रहा है? क्या दूसरे धार्मिक शिक्षण संस्थानों को भी सरकार से फंड मिल रहा है? क्या मदरसों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है? अगर मदरसों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है तो ये भेदभाव नहीं है?
वहीं, आपको बता दें कि इससे एक दिन पहले ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की और केन्द्र को सुझाव दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय काटने के एक आरोपी व्यक्ति जावेद की जमानत याचिका को रद्द करते हुए कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गौरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार किया जाना चाहिए।