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राजा महेंद्र प्रताप के वंशज ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से कहा- हमारी जमीन वापस करो

अलीगढ़ में लीज के 90 साल पूरा होने पर राजा महेंद्र प्रताप के वंशजों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी इंतजामियां को पत्र लिखकर जमीन वापस करने को कहा है। सोमवार को विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल की बैठक में वीसी प्रो. तारिक मंसूर की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।

Reported by: Ruchi Kumar
Published : September 16, 2020 16:26 IST
Aligarh Muslim University return our land: Mahendra Pratap kin
Aligarh Muslim University return our land: Mahendra Pratap kin

अलीगढ़: राजा महेंद्र प्रताप के वंशज ने लीज के 90 साल पूरा होने पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी इंतजामियां को पत्र लिखकर उनकी जमीन वापस करने को कहा है। सोमवार को विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल की बैठक में वीसी प्रो. तारिक मंसूर की अध्यक्षता में अब इस संबंध में समिति गठित की गई है। यह समिति अकादमी की अगली बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

एएमयू का तिकोनिया पार्क व सिटी स्कूल दोनों राजा महेंद्र प्रताप की जमीन पर बने

विश्वविद्यालय में आयोजित मीटिंग में बताया गया कि राजा महेंद्र प्रताप के वंशज की ओर से विश्वविद्यालय को एक पत्र लिखा गया है। जिसमें कहा है कि एएमयू का तिकोनिया पार्क व सिटी स्कूल दोनों राजा महेंद्र प्रताप की जमीन पर बने हैं। विश्वविद्यालय को यह जमीन 90 साल पहले लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि अब समाप्त हो गई है।

मीटिंग में बताया कि उनके वंशज की ओर से प्रपोजल दिया गया कि तिकोनिया पार्क की जमीन उनको वापस कर दी जाए। साथ ही उनकी जमीन पर बने यूनिवर्सिटी के सिटी स्कूल का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से करने की मांग की। एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में वाइस चांसलर के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया है।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह कौन थे?

राजा महेंद्र प्रताप सिंह आजादी के आंदोलन के सेनानी थे और मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने अफगानिस्तान में निर्वासित भारतीय सरकार का गठन किया था। वे स्वदेशी आंदोलन में भी शामिल रहे। आजादी के बाद से सांसद बने और इस क्रम में उन्होंने जनसंघ के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था।

योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2019 में  यह ऐलान किया कि एएमयू को जमीन दान करने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। लेकिन योगी आदित्यनाथ के इस आरोप को एएमयू प्रशासन सिरे से नकार दिया था कि एएमयू राजा महेंद्र प्रताप सिंह की दी हुई जमीन पर बना है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है। इसकी स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी और 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। मूलतः यह मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज था, जिसे मुस्लिम समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापित किया गया था।कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। अपने समय के समाज सुधारक सैयद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया और 1875 में एक स्कूल शुरू किया, जो बाद में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज और अंततः 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। 

कई विभागों और स्थापित संस्थानों के साथ यह प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालय दुनिया के सभी कोनों से, विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों को आकर्षित करता है। कुछ पाठ्यक्रमों में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं। विश्वविद्यालय सभी जाति, पंथ, धर्म या लिंग के छात्रों के लिए खुला है। अलीगढ़ दिल्ली के दक्षिण पूर्वी में 130 किमी दूरी पर दिल्ली-कोलकाता रेलवे और ग्रांड ट्रंक रूट की स्थित है।

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