वाराणसी: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी देश में धर्म और जाति के नाम पर लगातार नफरत फैला रही है। संत रविदास जयंती पर वाराणसी पहुंचे अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमारे देश में लोग एक-दूसरे के धर्म और संप्रदाय पर भरोसा करते हैं, यह हमारे देश की खूबी रही है। सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाए कि भारत की संस्कृति और एकता के बीच में कोई सबसे ज्यादा नफरत फैलाने का काम कर रहा है तो वे भाजपा के लोग हैं।
उन्होंने कहा कि मिर्जापुर में आयोजित एक कार्यकर्ता शिविर में हमने अपने कार्यकर्ताओं को बताया कि आने वाले समय में यह एक बहुत बड़ा संकट का रूप लेने वाला है और यदि हमने देश को इस संकट से नहीं उबारा तो हमारे देश के लोकतंत्र को खतरा का सामना करना पड़ सकता है। अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा रास्ता धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद का है। भाजपा सरकार की नीतियों पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी नीतियों से हमारी अर्थव्यवस्था और भारत के लोगों का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकारें नए एसेट्स बनाने की बजाय पुराने एसेट्स बेचने में लगी हुई हैं। कांग्रेस से दोबारा गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि आने वाले समय में समाजवादी पार्टी किसी भी बड़ी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। गौरतलब है कि अखिलाश यादव ने वाराणसी में सीरगोवर्धन स्थित संत रविदास मंदिर पहुंच कर श्रद्धासुमन अर्पित किया और कहा कि संत रविदास की समता, बंधुत्व, सौहार्द और भेदभाव के विरोध की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए समाजवादी पार्टी कृतसंकल्प है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय से शनिवार को जारी बयान के अनुसार, वाराणसी में मंदिर के मुख्य द्वार पर रैदासियों ने अखिलेश यादव का स्वागत किया और मंदिर के मुख्य रैदासी स्वामी निरंजन दास ने अखिलेश यादव को आशीर्वाद दिया। यादव ने लंगर में प्रसाद भी ग्रहण किया। यादव ने कहा, ''संत रविदास जी समाज सुधारक, महान क्रांतिकारी और स्वतंत्र चिंतक थे और उन्होंने पाखंड और कुरीतियों का डटकर विरोध किया। समाज में एकता, भाईचारा और समानता के लिए उनका पूरा जीवन समर्पित रहा, उनके अनुसार मानव सेवा ही वास्तविक धर्म है।''
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ''संत रविदास के अनुयायी देश के सभी हिस्सों में मौजूद हैं। संत रविदास श्रम की प्रतिष्ठा को सर्वोपरि मानते थे और उन्होंने भाईचारा, सद्भावना, समानता और करूणा का संदेश दिया। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ का सूत्र देने वाले संत रविदास का जीवन दर्शन पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है।''
(इनपुट- भाषा)