लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि ‘सोशल मीडिया में पैसा और प्रशिक्षण प्राप्त ‘ई-रावण’ बैठे हैं और वे जनता को भ्रमित करने का काम करेंगे, जिससे हमें सतर्क रहना होगा।' सपा मुख्यालय में अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में आयोजित विश्वकर्मा जयंती समारोह को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख ने शुक्रवार को वादा किया, 'समाजवादी पार्टी विश्वकर्मा समाज के सुझावों को घोषणा पत्र में स्थान देगी।’
‘गोमती किनारे होगी भव्य विश्वकर्मा मंदिर की स्थापना’
अखिलेश ने कहा, ‘समाजवादी सरकार में 17 सितंबर विश्वकर्मा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा, गोमती नदी के किनारे भव्य विश्वकर्मा मंदिर की स्थापना होगी और विश्वकर्मा समाज को सम्मान मिलेगा। बीजेपी के राज में विश्वकर्मा समाज समेत समाज के सभी वर्गों के लोग अपमानित हुए हैं। कोई बचा नहीं है। उत्तर प्रदेश में होने वाला चुनाव देश का सबसे बड़ा चुनाव है और लोकतंत्र के परीक्षा की भी यह सबसे बड़ी घड़ी है। बीजेपी षडयंत्रकारी, झूठ और भ्रम फैलाने वाली पार्टी हैं इससे सावधान रहना है।'
‘आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है’
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया, 'कोरोना महामारी के दौर में श्रमिक पैदल घर जाने को मजबूर थे, बीजेपी ने उद्योगपतियों-अमीरों के लिए हवाई जहाज की सेवा चालू रखी जबकि ट्रेनें और बसें बंद कर दी। कोरोना हवाई जहाज के यात्रियों से आया, लेकिन जनसामान्य को अनाथ छोड़ दिया गया, लाशें गंगा किनारे मिलीं, दुनिया में उनकी तस्वीरें छपीं। हम चाहते हैं कि जातिगत जनगणना हो ताकि हर समाज की सही संख्या की जानकारी हो सके तभी उसकी भागीदारी तय हो सकेगी। बीजेपी पिछड़ों, गरीबों और दलितों का हक छीनना चाहती है। आरक्षण समाप्त करने की साजिश हो रही हैं, संविधान बचाना है।'
‘किसानों की खड़ी फसल डूब गई है’
अखिलेश ने कहा प्रधानमंत्री जी को अलीगढ़ का ताला याद रहा, यह याद नहीं कि कितनी कम्पनियों में ताला लग गया और कितने नौजवान बेरोजगार हो गए। उन्होंने आरोप लगाया, 'उत्तर प्रदेश में अतिवृष्टि से जन-धन की व्यापक क्षति हुई है। हजारों एकड़ क्षेत्र जलमग्न हो गए है। किसानों की खड़ी फसल डूब गई है। धान, गन्ना, मक्का, केला, उड़द, बाजरा आदि फसलों को भारी पहुंचा है। बीजेपी सरकार किसानों की पीड़ा और नागरिकों की व्यथा से संवेदनहीन बनी हुई है। अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत की दिशा में भाजपा सरकार का कोई कदम न उठाना चिंता का विषय है।' (भाषा)