झांसी। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की कानून एवं व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए गुरुवार को तंज किया कि यहां भाजपा के शासन में रामराज नहीं बल्कि 'नाथूराम राज' दिखाई दे रहा है। अखिलेश ने झांसी में पिछले दिनों हुई कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गये पुष्पेन्द्र यादव नामक व्यक्ति की मौत की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच की मांग दोहराते हुए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग के साथ-साथ अब तो 'पुलिस लिंचिंग' भी होने लगी है।
अखिलेश ने उठाए कई सवाल
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुलिस ने वसूली का विरोध करने पर पुष्पेन्द्र की हत्या कर दी, उसे देखते हुए यही लगता है कि भाजपा के शासन में उत्तर प्रदेश में रामराज नहीं बल्कि 'नाथूराम राज' है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ''इस फर्जी मुठभेड़ के लिये स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। उसने पुष्पेन्द्र के उस सीआईएसएफ के जवान भाई को भी कथित मुठभेड़ का आरोपी बना दिया है जो घटना के वक्त दिल्ली में ड्यूटी पर तैनात थे। क्या राष्ट्रवादी सरकार जो हर दिन पाकिस्तान को गाली देती है, वह उसको न्याय दिलाएगी। पुष्पेन्द्र की अभी-अभी शादी हुई थी, क्या उसकी पत्नी को न्याय मिलेगा? यह सबसे बड़ा सवाल है।''
शासन तथा प्रशासन पर कोई भरोसा नहीं रहा- अखिलेश
उन्होंने कहा कि अब शासन तथा प्रशासन पर कोई भरोसा नहीं रहा है। इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के जज से ही कराए जाने पर न्याय मिल सकता है। मालूम हो कि गत 5/6 अक्टूबर की देर रात गुरसराय क्षेत्र में पुलिस से हुई कथित मुठभेड़ में गोली लगने से पुष्पेन्द्र यादव नामक व्यक्ति की मौत हो गयी थी।
पुलिस के मुताबिक पुष्पेन्द्र बालू खनन के अवैध कारोबार में लिप्त था और मुठभेड़ से पहले उसने मोठ थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह चौहान पर गोली चलाकर उनकी कार लूट ली थी। बाद में भोर करीब तीन बजे पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में वह मारा गया था।
मृतक के परिजनों का आरोप एसओ ने मांगी थी रिश्वत
इस बीच, पुष्पेन्द्र के परिजन का आरोप है कि थानाध्यक्ष चौहान बालू खनन मामले में उससे डेढ़ लाख रुपये रिश्वत मांग रहे थे, जिसे न दे पाने की वजह से उनकी हत्या कर दी गयी और उसे मुठभेड़ का नाम दे दिया गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने बुधवार को पुष्पेन्द्र के परिजन से मुलाकात करके उन्हें न्याय का आश्वासन दिया था।