लखनऊ: सोमवार की सुबह लगभग चार बजे आगरा में यमुना एक्सप्रेस-वे से फिसलकर एक बस 20 फुट गहरे नाले में गिर गई, जिससे 29 लोगों की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हो गए। इस बड़े हादसे ने कई घरों में मातम का माहौल बना दिया तो वहीं परिवहन निगम प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल भी खड़े कर दिए। दरअसल, हादसे का शिकार हुई बस के ड्राइवर ने इस एक्सप्रेस-वे पर पहले कभी बस चलाई ही नहीं थी। लिहाजा उन्हें इस रूट की जानकारी नहीं थी।
लेकिन, रविवार रात को परिवहन निगम प्रबंधन ने अचानक उन्हें दिल्ली जाने का फरमान थमा दिया गया। 47 वर्षीय चालक कृपाशंकर चौधरी बस लेकर निकले और फिर यमुना एक्सप्रेस-वे पर बस हादसे का शिकार हो गई। बता दें कि कृपाशंकर चौधरी गाजीपुर-कानपुर रूट पर चलते थे। लेकिन, उस रूट पर सवारी कम होने की वजह से उन्हें दिल्ली जाने के लिए कहा गया था। हादसे में कृपाशंकर चौधरी की भी मौत हो गई।
एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे का कारण क्या है? यह अभी स्पष्ट नहीं है। कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कि चालक को झपकी आ गई हो। आशंका यह भी जताई जा रही है कि शायद बस में अचानक कोई खराबी आ गई हो। हालाकिं, इनमें में किसी भी कारण को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। अधिकारियों ने सिर्फ ये बताया कि अवध डिपो की जनरथ बस लखनऊ से दिल्ली जा रही थी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) अवनीश अवस्थी ने कहा, “जिलाधिकारी (आगरा) के मुताबिक 29 लोगों की मौत हो गई। बस एक नाले में गिरी है।” राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश रोडवेज मृतकों के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देगा। साथ ही हादसे में गंभीर रूप से घायल लोगों को ढाई लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।