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कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों का आंदोलन समझ से परे: वीके सिंह

सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है और सरकार में कोई कानून पहली बार वापस लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी रखना समझ से परे है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 23, 2021 21:17 IST
After repeal of farm laws, farmers' agitation is beyond comprehension: VK Singh
Image Source : PTI वीके सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है।

Highlights

  • वीके सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है।
  • वीके सिंह ने कहा कि सरकार में कोई कानून पहली बार वापस लिया गया है।
  • SC द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों में से एक ने तीन कृषि कानूनों पर रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने का आग्रह किया।

बागपत: केंद्रीय परिवहन एवं सड़क राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है और सरकार में कोई कानून पहली बार वापस लिया गया है। उन्होंने कहा कि लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी रखना समझ से परे है। सिंह मंगलवार को यहां पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि भाजपा के शासनकाल में जितने विकास कार्य हुए हैं, उतने पहले कभी नहीं हुए। 

सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर किसानों का सम्मान रखा है और सरकार में कोई कानून पहली बार वापस लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी रखना समझ से परे है। पूर्व थलसेना प्रमुख ने कहा कि अक्षरधाम से बागपत तक ‘एलवेटिड रोड’ बनने से लोगों का सफर सुगम होगा। उन्होंने कहा कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और ग्रीन एक्सप्रेसवे बनने के बाद दिल्ली से देहरादून मात्र ढाई घंटे में पहुंचा जा सकेगा।

वहीं कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों पर रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने पर विचार करने या समिति को ऐसा करने के लिए अधिकृत करने का आग्रह किया। शेतकरी संगठन के वरिष्ठ नेता घनवट ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह अगले कुछ महीनों में एक लाख किसानों को दिल्ली में लामबंद करेंगे, जो तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद भी आवश्यक कृषि सुधारों की मांग कर रहे हैं। 

उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी बनाने और एमएसपी पर सभी कृषि फसलों की खरीद सुनिश्चित करने की किसानों की मांग असंभव है और लागू करने योग्य नहीं है। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को 23 नवंबर को लिखे पत्र में घनवट ने कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के बाद समिति की रिपोर्ट अब प्रासंगिक नहीं रह गई है लेकिन सिफारिशें व्यापक जनहित की हैं।

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