नई दिल्ली। अयोध्या विवाद के निपटारे के बाद अब सुप्रीम कोर्ट काशी-मथुरा मामले पर सुनवाई करेगा। देश में मौजूद धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 के वक्त जैसा ही बनाए रखने के प्रावधान वाले कानून- 'प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' को चुनौती देने वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (10 जुलाई) को सुनवाई होगी।
बता दें कि, ये याचिका विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने दायर की है। सभी धार्मिक स्थलों की मौजूदा स्थिति बनाए रखने के कानून को चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ नाम के संगठन का कहना है कि यह कानून हिंदुओं के खिलाफ है। इसके रहते वह काशी-मथुरा समेत उन पवित्र मंदिरों पर दावा नहीं कर सकते जिनके ऊपर जबरन मस्जिद बना दी गई थी। 1991 में बने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 में सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाए रखने की बात कही गई है। याचिका में इसी को रद्द करने की मांग की गई है।
इस याचिका के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है, उसने इस मांग पर विचार न करने का आग्रह किया है। बता दें कि, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने वकील एजाज मकबूल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके हिंदू पुजारियों की याचिका का विरोध किया है।