नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहले चरण के लगभग 20 फीसदी प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस सूची में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शीर्ष पर है, जिसके 40 फीसदी नेता ऐसे मामलों का सामना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 11 फरवरी को 73 सीटों पर मत डाले जाएंगे। चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखने वाली स्वयंसेवी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 38 फीसदी प्रत्याशियों, राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के 33 फीसदी, समाजवादी पार्टी (SP) के 29 फीसदी और कांग्रेस के 25 फीसदी प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
देश-विदेश की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
रिपोर्ट के मुताबिक, निर्वाचन आयोग को सौंपे अपने हलफनामों में कुल 168 प्रत्याशियों ने माना है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 143 ने अपने खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, महिलाओं के साथ अपराध जैसे संगीन आपराधिक मामले दर्ज होने की बात को कबूल किया है। संगीन आपराधिक मामलों में BSP (36 फीसदी) पहले स्थान पर, बीजेपी (30 फीसदी) दूसरे पर और सपा व रालोद (26 फीसदी) तीसरे स्थान पर हैं। ADR ने पहले चरण में चुनाव लड़ रहे 98 राजनीतिक दलों के कुल 839 में से 836 प्रत्याशियों के हलफनामे का अध्ययन किया है। 98 राजनीतिक पार्टियों में 5 राष्ट्रीय दल, 8 राज्य स्तरीय दल, 85 गैरमान्यता प्राप्त दल हैं और 293 निर्दलीय शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 15 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या से संबंधित मामले दर्ज हैं, जबकि 42 के खिलाफ हत्या के प्रयास, 2 के खिलाफ अपहरण और 5 के खिलाफ महिलाओं से दुष्कर्म, छेड़छाड़ व हमले के मामले दर्ज हैं।
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, 36 फीसदी प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग को सौंपे अपने हलफनामे में अपनी कुल सम्पत्ति को 1 करोड़ रुपये से अधिक बताया है। कांग्रेस के आगरा से प्रत्याशी नजीर अहमद शीर्ष पर हैं, जिन्होंने अपनी कुल सम्पत्ति 211 करोड़ रुपये बतायी है। धनी प्रत्याशियों की सूची में BSP सबसे ऊपर है। उसके 90 फीसदी प्रत्याशियों ने 1 करोड़ से अधिक सम्पत्ति बताई है, जबकि बीजेपी के 84 फीसदी, सपा के 78 फीसदी और कांग्रेस के 75 फीसदी प्रत्याशियों ने 1 करोड़ से अधिक सम्पत्ति का खुलासा किया है। ADR की रिपोर्ट में बताया गया है कि 22 फीसदी प्रत्याशियों ने पैन का विवरण नहीं दिया है जबकि 52 फीसदी ने अपना आयकर विवरण नहीं दिया है।