इलाहाबाद: आरुषि-हेमराज मर्डर केस में गुरुवार को इलाहाबद हाई कोर्ट ने एक बेहद ही महत्वपूर्ण फैसले में CBI की स्पेशल कोर्ट का निर्णय निरस्त करते हुए राजेश तलवार और नूपुर तलवार को निर्दोष करार दिया। जस्टिस बी. के. नारायण और जस्टिस ए. के. मिश्र की बेंच ने आरुषि तलवार और घरेलू सहायक हेमराज की सनसनीखेज हत्या के मामले में गाजियाबाद की विशेष CBI अदालत के निर्णय के खिलाफ तलवार दंपति की अपील विचारार्थ स्वीकार की थी। उसी अपील पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
जानें कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा:
हाई कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले पर CBI अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा कि आरुषि को उनके मम्मी-पापा ने नहीं मारा। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता है। अदालत ने कहा कि परिस्थितियों और रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्यों के मुताबिक तलवार दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसी के साथ अदालत ने तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाने का विशेष अदालत का निर्णय दरकिनार कर दिया। इसके अलावा हाई कोर्ट ने तलवार दंपती को तुरंत जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया। आपको बता दें कि गाजियाबाद की विशेष CBI अदालत ने आरुषि और हेमराज हत्या मामले में तलवार दंपति को 26 नवंबर, 2013 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
फैसला सुनकर रो पड़े तलवार दंपति:
कोर्ट का फैसला सुनने के बाद डासना जेल में बंद राजेश और नुपुर तलवार ने एक-दूसरे को गले लगाया और रो पड़े। आपको बता दें कि फैसला आने से पहले तलवार दंपती काफी परेशान थे। जेल में बंद राजेश और नूपुर तलवार रात को सोए भी नहीं थे। सुबह हेल्थ चेकअप के दौरान उनका ब्लड प्रेशर भी बढ़ा हुआ था।
क्या हुआ था उस रात:
14 साल की आरुषि 15 मई, 2008 की रात नोएडा के जलवायु विहार में स्थित घर के अपने कमरे में मृत पाई गई थी और उसका गला किसी धारदार वस्तु से काटा गया था। शुरुआत में शक की सूई हेमराज पर घूमी जो उस समय लापता था, लेकिन दो दिनों बाद उसका शव उसी मकान की छत से बरामद किया गया था। अखबार की सुर्खियों में रहे इस मामले की ठीक से जांच नहीं करने को लेकर उार प्रदेश पुलिस की तीखी आलोचना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच CBI को सौंप दी थी।
जानें, किस आधार पर तलवार दंपति पर लगा था हत्या का आरोप:
- आरुषि का बेडरूम और उसके पैरेंट्स का कमरा बिल्कुल सटा था
- हेमराज का शव छत पर मिला, छत का दरवाजा अंदर से बंद था
- घटना की रात फ्लैट में 4 लोग, तलवार दंपति, आरूषि, हेमराज
- आरुषि-हेमराज की हत्या..बाहरी व्यक्ति के आने की गुंजाइश नहीं
- हत्या की पूरी रात इंटरनेट चालू, एक आरोपी पूरी रात जगा था
- इंटरनेट चालू होने की वजह से रात में बिजली गुल की बात गलत
- किसी बाहरी व्यक्ति के घर में घुसने का भी कोई सबूत नहीं मिला
- फ्लैट में चोरी या सामान के गायब होने का सबूत नहीं था
- तलवार दंपति के कपड़ों पर खून नहीं मिलना एक सबूत माना गया
- डाइनिंग टेबल पर स्कॉच की बोतल पर खून के निशान
- बाहरी व्यक्ति का हेमराज को मारकर शव छत पर ले जाना संभव नहीं
- मर्डर से पहले कभी भी छत के दरवाजे पर ताला नहीं लगाया गया
- सीढ़ियों पर गिरे खून को साफ करने की कोशिश की गई थी
- गायब गोल्फ स्टिक कुछ दिन बाद तलवार के घर से ही मिली थी
- आरुषि-हेमराज के सिर-गर्दन पर गोल्फ स्टिक के चोट के जख्म थे
आरुषि केस में कब क्या?
- 12 अक्टूबर 2017: हाईकोर्ट ने CBI अदालत के फैसले को खारिज करते हुए राजेश और नूपुर तलवार को बरी किया
- 26 नवंबर 2013 - राजेश और नूपुर तलवार को उम्रकैद की सज़ा, दोनों डासना जेल में बंद
- 25 नवंबर 2013 - कोर्ट ने राजेश और नूपुर तलवार को डबल मर्डर का दोषी करार दिया
- 18 अक्टूबर 2013 - कोर्ट में सीबीआई ने कहा कि तलवार दंपत्ति ने जांच को गुमराह किया
- 25 सितंबर 2012 - नूपुर तलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत दी गई
- 3 मई 2012 - सेशन कोर्ट से डॉ. नूपुर तलवार की जमानत याचिका खारिज
- 30 अप्रैल 2012 - सीबीआई ने आरूषि की मां डॉ. नूपुर तलवार को गिरफ्तार किया
- 14 मार्च 2012 - सीबीआई ने राजेश तलवार की जमानत खारिज करने की अपील की
- 9 फरवरी 2011 - क्लोजर रिपोर्ट खारिज, कोर्ट ने तलवार दंपत्ति पर केस चलाने को कहा
- 29 दिसंबर 2010 - सबूत के अभाव में सीबीआई ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की
- 12 जुलाई 2008 - सबूत के अभाव में डॉ. राजेश तलवार को जमानत दी गई
- 31 मई 2008 - तत्कालीन मायावती सरकार ने केस सीबीआई को ट्रांसफर किया
- 23 मई 2008 - आरूषि के पिता डॉ.राजेश तलवार डबल मर्डर के आरोप में गिरफ्तार
- 17 मई 2008 - शुरूआती शक नौकर हेमराज पर, हेमराज का शव भी फ्लैट की छत पर मिला
- 16 मई 2008 - नोएडा के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर L-32 में आरूषि मृत पाई गई