नोएडा। गौतमबुद्ध नगर में होमगार्ड वेतन घोटाला मामले में गिरफ्तार होमगार्ड विभाग के पांच अधिकारियों को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। गौतमबुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया कि होमगार्ड वेतन घोटाले में गिरफ्तार मंडलीय कमांडेंट राम नारायण चौरसिया, सहायक जिला कमांडेंट सतीश चंद, अवैतनिक प्लाटून कमांडर सतवीर यादव, शैलेंद्र कुमार व मिंटू कुमार को कल शाम अदालत में पेश किया गया, जहां से इनको 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
एसएसपी ने बताया कि नोएडा में होमगार्ड वेतन घोटाले का खुलासा होने के बाद, इस मामले में लखनऊ में भी मुकदमा दर्ज हुआ है, तथा लखनऊ पुलिस ने आज बृहस्पतिवार को वहां के होमगार्ड विभाग के जिला कमांडेंट जय प्रकाश पांडे को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि नोएडा पुलिस भी जय प्रकाश पांडे से पूछताछ करेगी, ताकि इस घोटाले की एक-एक कड़ी को जोड़ा जा सके। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई है, जिसके आधार पर कुछ अन्य लोगों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
इस महीने यह मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार हरकत में आई, तथा इस मामले में सख्त कार्रवाई हुई। जुलाई 2019 में एक प्लाटून कमांडर ने इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतम बुध नगर वैभव कृष्ण से शिकायत की थी। इसके आधार पर एसएसपी ने अपने स्तर से इस घोटाले की जांच करवाई। जांच में पाया गया कि होमगार्डों के वेतन निकासी में करोड़ों का घोटाला हुआ है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी। डीजी होमगार्ड ने इस मामले में एक चार सदस्यीय जांच कमेटी बैठा दी मीडिया में खबर आने के बाद नोएडा पुलिस ने उक्त घोटाला मामले में 13 नवंबर को मुकदमा दर्ज कर लिया। नोएडा पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी, इसी बीच 17 नवंबर को गौतमबुद्ध नगर कलेक्ट्रेट में स्थित होमगार्ड जिला कमांडेंट के कार्यालय में रखे दस्तावेजों में आग लग गई। जिससे इस घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए। इस मामले में थाना सूरजपुर में मुकदमा दर्ज हुआ है।
गुजरात की दो सदस्यीय टीम को इस आगजनी की जांच के लिए बुलाया गया है, टीम में केए शर्मा व सीडी बपोदरा शामिल है। दोनों निदेशक स्तर के अधिकारी बताया जा रहे हैं। इन लोगों ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की। जांच लगभग चार घंटे तक चली। इस दौरान टीम ने जले मस्टरोल के नमूने लिए। टीम के पास ऐसी आधुनिक तकनीक है जो जले कागज को भी पढ़ सकती है। जांच टीम इस बात का भी पता लगा रही है कि आग कैसे लगी। फॉरेंसिक टीम की जांच के बाद होमगार्ड कार्यालय के पांच कमरों को सील कर दिया गया है, तथा नष्ट हुए दस्तावेजों से किस तरह सबूत निकाले जाए, इसके प्रयास किए जा रहे हैं। इस मामले में जिला गौतमबुद्ध नगर के 10 एसएचओ से पूछताछ की गई है। कुछ थाना प्रभारी अभी भी थाने में मौजूद हैं, जबकि कुछ अन्य जिलों में तैनात हैं।
पूछताछ में यह बात सामने आई है कि होमगार्ड विभाग के अधिकारियों ने जिले में तैनात थानाध्यक्षों के फर्जी हस्ताक्षर व मोहर का इस्तेमाल कर उक्त घोटाले को अंजाम दिया है। जांच के दौरान सभी एसएचओ ने बताया है कि जो हस्ताक्षर होमगार्डों के वेतन की निकासी के लिए मस्टररोल पर किए गए हैं, वे उनके नहीं हैं। बताया जाता है कि यह घोटाला नोएडा में वर्ष 2014 से चल रहा था। होमगार्ड पुलिस के थानों के अलावा ट्रैफिक पुलिस व कलेक्ट्रेट समेत अन्य कई विभागों में तैनात किए जाते हैं। बताया जाता है कि गौतमबुद्ध नगर के 21 थानों में फर्जी तैनाती दिखाकर सालाना करीब 50 लाख रुपए की रकम होमगार्ड विभाग के अधिकारियों ने ऐठी है। इसके अलावा अन्य विभागों में भी तैनात होमगार्ड की फर्जी वेतन निकासी रकम 50 लाख से अधिक रही है।