नई दिल्ली: खराब मौसम, बारिश, आंधी और तूफान आजकल यही बन गई है उत्तर प्रदेश की पहचान। एक महीने से ऊपर हो चुका है। शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जिस दिन उत्तर प्रदेश के किसी हिस्से से खराब मौसम के मार की ख़बर ना आई हो। कल भी यूपी के कई हिस्सों में आये आंधी तूफान में 13 लोगों की मौत हो गयी जबकि 28 लोग घायल हो गये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि घायलों का समुचित उपचार कराया जाये तथा 24 घंटे के अंदर राहत सामग्री वितरित करा दी जाये। मुख्यमंत्री ने आंधी तूफान में मारे गये लोगों के प्रति गहरा दुख व्यक्त किया है और उनके परिजनों को जल्द से जल्द राहत सहायता पहुंचाने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं।
यूपी के गोंडा में देर शाम आए आंधी तूफान ने तबाही मचा दी। भयानक आंधी तूफान की वजह से कई कच्चे मकान तेज़ हवाओं की भेंट चढ़ गए। रात होते होते आंधी-तूफान के बाद तेज़ बारिश ने पूरे इलाके को डरा दिया। जानकारी के मुताबिक जिले के अम्बरपुर गांव में आंधी के चलते पेड़ की डाल गिरने से दो बच्चियों की मौत हो गई। तेरह साल की ये दोनों बच्चियां आम चुनने के लिए घर से निकली थीं जबकि जिले के कटराबाजार थाना इलाके में एक बच्चा छप्पर गिरने से दब गया जिससे उसकी मौत हो गई।
फ़ैज़ाबाद में भी चक्रवाती तूफान ने जमकर तबाही मचाई। तूफान की वजह से शहर के कई इलाकों में भारी नुकसान की भी खबर है। तूफान की वजह से कई जगहों पर पेड़ टूट गए, घरों की दीवारें गिर गईं। तेज़ हवाओं के साथ हुई बारिश के चलते कई इलाकों में पानी जमने की भी खबरें सामने आई। तूफान और बारिश की वजह से बिजली सप्लाई भी ठप हो गई जिसके चलते रात के वक्त लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यहां भी बारिश और तूफान ने एक महिला की जान ले ली, साथ ही एक दर्जन से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।
यूपी का कन्नौज भी बीती रात बारिश और तेज़ हवाओं से सहम गया। बारिश और तेज़ हवाओं ने आम लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया। कही पेड़ टूट गए तो कहीं लोगों के झोंपड़े ही उड़ गए। मौसम विभाग ने पहले ही खराब मौसम का अलर्ट जारी कर रखा था। सुबह से मौसम में बदलाव देखा जा रहा था। गर्मी कम होने से लोगों ने राहत की सांस ज़रूर ली लेकिन रात होते होते राहत आफत में बदल गई।
यूपी के बहराइच में भी पिछले चौबीस घंटे में धूल भरी आंधी ने लोगों को परेशानी में डाल दिया। तेज हवाओं के साथ उड़ती धूल ने पूरे शहर को कैद करके रख दिया था। तेज़ हवाओं और धूल की वजह से सड़क पर चलना दूभर हो गया, साथ ही घरों में भी धूल घुसने से कई जगहों पर लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हुई। सड़क पर विज़िबिलिटी कम होने से गाड़ियों को चलाने में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।