नई दिल्ली: देश में लोकतंत्र का महापर्व कहे जाने वाले लोकसभा चुनाव के तहत मतदान के 5 चरण संपन्न हो चुके हैं जबकि 2 फेज की वोटिंग अभी बाकी है। इस बीच विपक्ष की ओर से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने India TV के सुपरहिट कार्यक्रम 'सलाम इंडिया' में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए कांग्रेस के समय में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर बात की थी। पीएम मोदी ने साल के सबसे बड़े इंटरव्यू के दौरान सवालों के जवाब देते हुए पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या के बाद देश में चुनाव रोके जाने पर सवाल खड़े किए थे। प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है।
यूजर ने शेयर किए पुरानी पेपर कटिंग
सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर अखिलेश मिश्रा नाम के एक शख्स ने तीन ट्वीट किए हैं। इसके साथ ही अखिलेश मिश्रा ने पुराने न्यूज पेपर के कटआउट भी शेयर किए हैं। अखिलेश मिश्रा ने एक्स पर लिखा है कि 'चुनाव आयोग के नियम यह कहते हैं कि यदि चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है, तो उस विशेष सीट पर चुनाव रद्द कर दिया जाता है और बाद की तारीख में चुनाव कराया जाता है। सिर्फ एक सीट के लिए पूरा चुनाव स्थगित करने का कोई नियम नहीं है। फिर भी, मई 1991 में जब राजीव गांधी की हत्या हुई तो ठीक यही किया गया था। पूरा चुनाव तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया था।'
सात मुख्यमंत्रियों ने किया विरोध
अखिलेश मिश्रा ने आगे लिखा है कि 'कम से कम सात मुख्यमंत्रियों ने चुनाव स्थगित करने का कड़ा विरोध किया। कई लोगों ने इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या बताया। फिर भी, तत्कालीन सीईसी टी.एन. शेषन जो कि कांग्रेस के राजवंशीय वफादार थे, उन्होंने पूरी तरह से मनमाने ढंग से कार्रवाई करते हुए चुनाव स्थगित कर दिए। इन तीन हफ्तों का इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी ने सहानुभूति वोट पाने के लिए किया। राजीव गांधी की हत्या से पहले, कांग्रेस पूरी तरह से खत्म होने की ओर बढ़ रही थी। लेकिन तीन सप्ताह के स्थगन का उपयोग कांग्रेस पार्टी द्वारा जुलूस निकालने के लिए किया गया। विज्ञापनों में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी का उपयोग करते हुए अंतिम संस्कार यात्राएं निकाली गई। सहानुभूति वोट पाने के लिए अनिवार्य रूप से हर चाल चली गई। इन सबकी वजह से चुनाव के परिणाम पूरी तरह से बदल गए।'
कांग्रेस को चुनाव में मिला फायदा
उन्होंने लिखा कि 'बाद में शेषन को कांग्रेस ने इनाम भी दिया और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ कांग्रेस का उम्मीदवार भी बनाया गया। कई अन्य सीईसी भी इसी तरह कांग्रेस पार्टी द्वारा 'भ्रष्ट' थे। राजीव गांधी की हत्या से पहले संसद त्रिशंकु विधानसभा की ओर बढ़ रही थी। कांग्रेस पार्टी हार की ओर बढ़ रही थी और विपक्ष, विशेषकर भाजपा सत्ता के मजबूत दावेदार के रूप में उभर रही थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद, कांग्रेस पार्टी को प्रचार करने और सहानुभूति वोट मांगने के लिए, पूरी तरह से असंवैधानिक रूप से, तीन सप्ताह का समय दिया गया था। इस सारे फैक्टर ने काम किया और चुनाव पूरी तरह पलट गया।'
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