नई दिल्ली: महिला आरक्षण बिल को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। इस बिल को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी आज सदन में पेश कर सकती हैं। इस बिल का नाम 'महिला सशक्तिकरण बिल' होगा। दरअसल सोमवार को पीएम मोदी ने शाम के 6.30 बजे कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई थी। नई संसद में यह पहला बिल होगा और इसके पारित होने के बाद यह नई संसद का पहला कानून भी होगा। सूत्रों के मुताबिक, मोदी कैबिनेट ने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत महिला आरक्षण को अपनी मंजूरी दी है।
27 साल तक क्यों लटका ये बिल?
महिला आरक्षण बिल बीते 27 सालों से लटका हुआ था। सबसे पहले साल 1996 में देवेगौड़ा की सरकार इसे लाई थी, फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय साल 1998,1999 और 2002 में भी महिला आरक्षण का बिल लाया गया। साल 1998 में तो लालू यादव की पार्टी ने बिल की कॉपी लाल कृष्ण आडवाणी के हाथ से छीन कर फाड़ दी थी और बिल पेश करने का विरोध किया था।
इसके बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने 2008 में इसे राज्यसभा में पेश किया। उस वक्त बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में भेज दिया गया, फिर इस बिल को 2010 में राज्यसभा ने पारित कर दिया लेकिन इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया, तब से बिल लटका हुआ था।
मोदी सरकार में बिल पास होने की कितनी संभावना?
दरअसल पिछली सरकारें या तो गठबंधन में बनी थीं या फिर राजनीतिक दलों में विल पावर की कमी थी। मोदी सरकार एक पूर्ण बहुमत की सरकार है, इसलिए उसे लोकसभा में इसे पास करवाने में विशेष समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। मोदी सरकार में कई अहम बिल पहले ही पेश किए जा चुके हैं, जिसमें आर्टिकिल 370, GST, आर्थिक आधार पर गरीबों को 10 प्रतिशत का रिजर्वेशन देने वाले बिल शामिल हैं।
विरोधी दल भी ये बात जानते हैं कि ये बिल पास होना संभव है, इसलिए वो अपने-अपने मुद्दे तो उठा रहे हैं लेकिन महिला रिजर्वेशन का विरोध कोई नहीं कर रहा है। दरअसल विरोधी दल ये कभी नहीं चाहेंगे कि इसका क्रेडिट पीएम मोदी को मिले।
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