नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दिन जाने का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में इस पर चर्चा कर आम सहमति बनाई जा सकती थी। कांग्रेस ने यह भी कहा कि सरकार का यह फैसला कांग्रेस और यूपीए सरकार में उसके सहयोगी रहे दलों की जीत है, क्योंकि उन्हीं की सरकार के कार्यकाल में यह विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ था।
चर्चा में राहुल गांधी का पत्र
कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा 16 जुलाई, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए उस पत्र को भी जारी किया, जिसमें महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल पारित कराने की मांग की गई थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'अगर सरकार महिला आरक्षण विधेयक पेश करती है तो यह कांग्रेस और यूपीए सरकार में उसके सहयोगियों की जीत होगी। याद रखें कि यूपीए सरकार के दौरान ही यह विधेयक नौ मार्च, 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ था।'
उन्होंने कहा, 'अपने 10वें साल में, बीजेपी उस विधेयक को फिर से जीवित कर रही है जिसे उसने इस उम्मीद में दबा दिया था कि विधेयक को लेकर आवाज खत्म हो जाएगी।' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के अनुसार, हर अवसर पर और हालही में हैदराबाद में हुई पार्टी की कार्य समिति की बैठक में कांग्रेस ने विधेयक को संसद में पारित करने के लिए जोरदार अपील की है। चिदंबरम ने कहा, 'आशा करते हैं कि विधेयक विशेष सत्र में पेश और पारित हो जाएगा।'
जयराम रमेश ने कही ये बात
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि उनका दल लंबे समय से इस विधेयक को पारित करने की मांग कर रहा है। उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया,' कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग कर रही है। हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की खबर का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'
रमेश ने कहा कि विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे की राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी। रमेश ने अपने एक पुराने पोस्ट का हवाला दिया था जिसमे महिला आरक्षण विधेयक की पृष्ठभूमि का उल्लेख किया गया था। उन्होंने कहा था,'सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था।'
रमेश के अनुसार, 'अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्ह राव ने पंचायतों और नगर निकायों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया था। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। आज पंचायतों और नगर निकायों में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह आंकड़ा 40 प्रतिशत के आसपास है।'
कांग्रेस नेता ने कहा था, 'महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक-तिहाई आरक्षण के वास्ते तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने संविधान संशोधन विधेयक लाया था। विधेयक नौ मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ था, लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका।' उन्होंने कहा था,'राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक खत्म नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी मौजूद है। कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।' (इनपुट: भाषा)
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