नई दिल्ली: हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए एक अक्टूबर को मतदान होना है और 4 जून को वोटों की गिनती की जाएगी। चुनाव आयोग द्वारा इस ऐलान के बाद से ही सूबे की सभी प्रमुख सियासी पार्टियां अपनी-अपनी चुनावी रणनीति को अमली जामा पहनाने में जुट गई हैं। यूं तो सभी पार्टियों के नेताओं में अपने-अपने वर्चस्व को लेकर थोड़ा बहुत संघर्ष चलता रहता है, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई सतह पर आ गई है। पार्टी के दो बड़े नेताओं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला में तालमेल का अभाव नजर आ रहा है। इसी मुद्दे पर इंडिया टीवी ने जनता की राय जाननी चाही और पता लगाना चाहा कि आखिर नेताओं को सत्ता की चाभी सौंपने वाली जनता जनार्दन के मन में क्या चल रहा है।
9300 से भी ज्यादा लोगों ने रखी अपनी राय
कांग्रेस में जारी रस्साकशी को लेकर हमने जनता से पूछा था कि 'क्या हरियाणा में कांग्रेस के बीच जारी खटपट का फायदा भाजपा को विधानसभा चुनाव में होगा?' और लोगों के सामने तीन विकल्प 'हां', 'नहीं' और 'कह नहीं सकते' रखे थे। पोल के नतीजों से पता चलता है कि इसमें हिस्सा लेने वाले 9311 लोगों में से ज्यादातर लोग इस बात से सहमत हैं कि कांग्रेस की अंदरूनी खटपट से बीजेपी को फायदा होगा। 78 फीसदी लोगों ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं में आपसी खींचतान का भारतीय जनता पार्टी फायदा उठा सकती है। वहीं, 15 फीसदी लोग ऐसे थे जिनका मानना था कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह का बीजेपी कोई फायदा नहीं उठा पाएगी। वहीं, 7 फीसदी लोग ऐसे भी थे जो इस सवाल पर किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने में असमर्थ थे।
हरियाणा कांग्रेस में बन चुके हैं तीन गुट!
हरियाणा कांग्रेस के इस समय तीन खेमों में बंटने की चर्चा चल रही है जिसमें पहला खेमा भूपेंद्र सिंह हुड्डा का, दूसरा खेमा कुमारी सैलजा का और तीसरा खेमा रणदीप सुरजेवाला का है। इन तीनों खेमों में हुड्डा का खेमा सबसे ज्यादा ताकतवर माना जाता है लेकिन कुमारी सैलजा और सुरजेवाला भी चीजें अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, और इसी से संघर्ष हो रहा है। बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 90 में से 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 10 सीटें जीतने वाली जनहित जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। वहीं, कांग्रेस ने भी सबको चौंकते हुए 31 सीटें हासिल की थी और अपने वोट बैंक में भी अच्छा-खासा इजाफा किया था।