मुंबई: राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रवक्ता और सचिव संदीप देशपांडे ने ट्वीट करके मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र में हो रही हिंसा पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि जिन लोगों को औरंगजेब से प्यार है, उन्हें औरंगजेब के पास ही दफनाना होगा। मनसे नेता ने शिवाजी पार्क के पास औरंगजेब का पुतला भी फूंका। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमाई हुई है और पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर बुरी तरह हमलावर हैं।
‘औरंगजेब के इतने प्रेमी कहां से पैदा हो गए’
इंडिया टीवी से बात करते हुए मनसे नेता देशपांडे ने कहा, ‘यह महाराष्ट्र में अचानक से औरंगजेब के इतने सारे प्रेमी कहां से पैदा हो गए? अहमदनगर में औरंगजेब के पोस्टर लेकर नाचना और कोल्हापुर में स्टैटस रखना, आखिर इन सबकी ज़रूरत क्यों आ गई और अचानक से एक के बाद एक ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है? महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी के नेताओं के बयानों के वजह से ही इस तरह के लोगों की हिम्मत बढ़ रही है। यह औरंगजेब से इतना प्यार दिखाकर बाकी लोगों को उकसाना चाहते है। ये चाहते हैं कि लोग सड़कों पर उतरे और कुछ हो।’
‘ये नहीं माने तो मनसे स्टाइल में समझाएंगे’
देशपांडे ने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था बनाये रखने का काम राज्य सरकार का है। इसमें सरकार फेल होती है तो विपक्ष सवाल उठाए, लेकिन राज्य का माहौल खराब करने के लिए अगर ये औरंगजेब के प्रेमी सड़क पर उतरेंगे तो MNS भी सड़क पर उतरेगी और फिर इन्हें मनसे स्टाइल में समझाएगी। उद्धव ठाकरे गुट के जितने भी नेता है उनका अचानक से इस्लामीकरण हो गया है या उनके लिए प्रेम जग गया है, इसलिए उन्हें औरंगजेब का महिमामंडन कर रहे, पोस्टर लेकर नाच रहे लोगों में कुछ गलत नही दिखता।’
‘...उसे औरंगजेब के पास ही दफनाना होगा’
मनसे नेता ने विवादित बयान देते हुए कहा, ‘महाराष्ट्र में औरंगजेब से प्रेम करनेवालों की जगह नहीं, अगर किसी को प्रेम है तो उसे औरंगजेब के पास ही दफनाना होगा। देवेंद्र फडणवीस ने सही बोला, बीते कुछ महीनों से अचानक औरंगजेब की इतनी औलादें और प्रेमी महाराष्ट्र में कहां से आ गए। इसके पीछे साजिश है और विपक्षी नेताओं के लगातार बयान इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे।’ बता दें कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि कुछ नेताओं की ओर से राज्य में दंगे जैसे हालात संबंधी बयान तथा किसी खास समुदाय के एक वर्ग द्वारा औरंगजेब तथा टीपू सुल्तान को महिमामंडित किए जाने की घटना महज इत्तेफाक नहीं हो सकती।