आज संसद के निचले सदन में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक पेश किया। इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। लोकसभा में करीब 8 घंटे तक चली बहस के बाद इस बिल को पारित कर दिया गया। इसके पक्ष में कुल 454 मत पड़े। 2 सासंदों ने इसके विरोध में मत किया। लेकिन क्या आप जानते कि महिला आरक्षण का मुद्दा सबसे पहले किसने और कब उठाया था।
1996 में पेश किया था बिल
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के तत्कालीन अविभाजित मिदनापुर जिले के पंसकुरा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य रहीं स्व. गीता मुखर्जी ने महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की थी। परिसीमन के बाद पंसकुरा निवार्चन क्षेत्र अब नहीं है मगर वहां से गीता मुखर्जी 7 बार लोकसभा की सदस्य रहीं। गीता मुखर्जी ने ही सबसे पहले संसद और और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग करते हुए संसद में एक निजी विधेयक पेश किया था।
कौन हैं गीता मुखर्जी?
गीता मुखर्जी सशक्तिकरण को लेकर काफी सक्रिया रहा करती थी। उनका मानना था कि जब तक संसद और विधानमंडल में महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं होगा तब तक सशक्तिकरण नहीं हो सकता है।
गीता मुखर्जी अपनी विनम्र जीवनशैली के लिए जानी जाती थी। उनकी जीवनशैली इतनी साधारण रही कि वो सांसद रहने के बावजूद भी ट्रेन में स्लीपर क्लास में सफर किया करती थी। 1980 से 2000 तक वे 7 बार लोकसभा सांसद रही। गीता मुखर्जी तत्कालीन अविभाजित मिदनापुर जिले के पंसकुरा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा की सदस्य रहीं।
आपको बता दें कि सार्वजनिक उपक्रमों पर संसदीय समिति, अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण पर समिति और आपराधिक कानून(संसोधन) विधेयक, 1980 पर संयुक्त समिति के सदस्य के रूप में उनके गठन को आज भी याद किया जाता है।
(इनपुट: आईएएनएस)
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